Breaking News
(BJP )
(BJP )

भाजपा (BJP )तोड़ेगी 38 साल का रिकॉर्ड या कांग्रेस करेगी वापसी

बेंगलुरु. कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न होने के बाद अब सभी को मतगणना को लेकर भारी उत्सुकता और बेचैनी है. इस बार चुनाव प्रचार के दौरान सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, (BJP ) मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला लेकिन सत्ता की चाबी किसके हाथ लगती है, सुबह 8 बजे से शुरू होने वाली मतगणना के बाद यह साफ हो जाएगा. राज्य के मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता बसवराज बोम्मई, कांग्रेस नेता सिद्धरमैया और डी के शिवकुमार तथा जद (एस) के एच डी कुमारस्वामी सहित कई अन्य बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.

मतगणना राज्य भर के 36 केंद्रों में सुबह 8 बजे शुरू होगी और चुनाव अधिकारी उम्मीद जता रहे हैं कि राज्य के भावी राजनीतिक परिदृश्य की तस्वीर दोपहर तक स्पष्ट हो जाएगी. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए राज्य भर में, विशेषकर मतगणना केंद्रों के अंदर और आसपास सुरक्षा के व्यापक इंतजाम हैं. राज्य में 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 10 मई को चुनाव में 73.19 प्रतिशत का ‘रिकॉर्ड’ मतदान दर्ज किया गया था. ऐसे में जब ज्यादातर ‘एग्जिट पोल’ में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़े मुकाबले का पूर्वानुमान जताया गया है, दोनों दलों के नेता नतीजों को लेकर ‘बेचैन’ लग रहे हैं, जबकि जद(एस) त्रिशंकु जनादेश की उम्मीद लगा रहा है ताकि उसे सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने का मौका मिल सके.

38 साल पुरानी परंपरा तोड़ने की उम्मीद में भाजपा
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य की सत्ता में क्रमिक रूप से बदलाव की 38 साल पुरानी परंपरा तोड़ने की उम्मीद में है. इसके लिए पार्टी मोदी प्रभाव पर भरोसा जता रही है. वहीं कांग्रेस भी इस चुनाव में जीत हासिल करना चाहती है ताकि वह इसका इस्तेमाल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने के लिए कर सके.

कर्नाटक में त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में क्‍या होगा ?
वहीं यह भी देखा जाना बाकी है कि त्रिशंकु जनादेश की स्थिति में क्या सरकार बनाने की कुंजी पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली जद (एस) के पास होगी? दिल्ली और पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने भी इस विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारे थे. इसके अलावा कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में कुछ छोटे दल भी मैदान में थे.