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पहला ओलिंपिक खेल रहीं सिंधू वर्ल्ड नंबर-2 को हराकर बैडमिंटन के सेमीफाइनल में, भारत के 92 एथलीट्स खाली हाथ लौटे: #Rio

रियो डि जेनेरियो. बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधू ने वुमन्स सिंगल्स के क्वार्टर फाइनल में चीन की वर्ल्ड नंबर-2 शटलर वांग यिहान को हराकर सेमीफाइनल में एंट्री ले ली। भारत के 119 में से 92 एथलीट्स खाली हाथ लौट चुके हैं। 12 दिन में देश को कोई मेडल नहीं मिला है। जो 27 खिलाड़ी अभी भी मैदान में हैं, उनमें अब मेडल की सबसे ज्यादा उम्मीद सिंधू से नजर आ रही है। अपना पहला ओलिंपिक खेल रहीं सिंधू का वर्ल्ड नंबर-2 प्लेयर को हराना बड़ा अचीवमेंट है। गुरुवार को सेमीफाइनल खेलेंगी सिंधू…
– सिंधू ने क्वार्टर फाइनल 22-20, 21-19 से जीता। पहला गेम उन्होंने 29 मिनट में और दूसरा 25 मिनट में जीत लिया।
– पहले गेम में सिंधू शुरू में आगे चल रही थीं, लेकिन आखिरी वक्त पर मुकाबला बराबरी पर आ गया।
– वांग गेम को 20-20 प्वाइंट तक लेकर आ गईं। लेकिन सिंधू ने वापसी करते हुए पहला गेम 22-20 से जीत लिया।
– दूसरे गेम में भी सिंधू ने शुरुआत में ही 5 प्वाइंट की बढ़त ले ली थी, लेकिन जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ा यिहान ने वापसी करते हुए 18-18 की बराबरी कर ली।
– हालांकि, फिर सिंधू ने शानदार खेल दिखाते हुए गेम 21-19 के अंतर से जीत लिया।
अपने से बेहतर शटलर काे हराया
– सिंधू की ये कामयाबी इसलिए भी अहम है कि उन्होंने रैंकिंग में अपने से कहीं बेहतर और कहीं सीनियर खिलाड़ी को हराया।
– बैडमिंटन में सिंधू की रैंकिंग 10वीं है, जबकि वांग यिहान की रैंकिंग 2 है। इसके अलावा, यिहान 2012 लंदन ओलिंपिक की सिल्वर मेडलिस्ट भी हैं।
– अब सेमीफाइनल में सिंधू का मुकाबला गुरुवार को जापान की शटलर नोजोमी ओकुहारा से होगा।
कुश्ती में हरदीप की हार
– हरदीप सिंह रियो में ग्रीको-रोमन कुश्ती के 98 किग्रा वर्ग में तुर्की के सेंक इल्डेम से 1-2 से हारकर बाहर हो गए।
– इस इवेंट में दो पहलवान रविंदर खत्री (85 किग्रा) और हरदीप (98 किग्रा) रियो गए थे। खत्री पहले ही राउंड में बाहर हो गए थे।
– हरदीप को क्वालिफिकेशन राउंड में बाई मिली थी और एलिमिनेशन राउंड में उनका मुकाबला तुर्की के पहलवान से हुआ।
– इस मुकाबले में हार के साथ ही ग्रीको-रोमन रेसलिंग इवेंट में भारत की चुनौती खत्म हो गई है।
दो साल में ट्रेनिंग पर 180 करोड़ खर्च, विदेशी कोच हुए दोगुने, फिर भी जारी है पहले मेडल की तलाश
– रियो में भारत ने अपने ओलिंपिक इतिहास की सबसे बड़ी टीम के रूप में 119 एथलीट्स को इसी उम्मीद से भेजा था कि इस बार लंदन ओलिंपिक के 6 मेडल से दोगुने मेडल आएंगे।
– रियो में शुरुआती 12 दिन में सिर्फ निराशा हाथ लगी। पिछले दो साल में 100 से ज्यादा एथलीट्स की विदेश में ट्रेनिंग और कॉम्पिटीशन्स में हिस्सा लेने के लिए 180 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
– फिर भी 24 साल बाद भारत पर ओलिंपिक से खाली हाथ लौटने का खतरा मंडरा रहा है। आखिरी बार हमें 24 साल पहले बार्सिलोना (1992) ओलिंपिक में मेडल नहीं मिला था।
– 119 में से हमारे 92 खिलाड़ी खाली हाथ लौट आए हैं और अब वहां केवल 27 बचे हैं। 27 में से 18 एथलीट और एक गोल्फर से मेडल की उम्मीद कम है।
– अब सिर्फ 6 पहलवान और दो बैडमिंटन खिलाड़ी ही हैं, जो मेडल की उम्मीद पूरी कर सकते हैं।