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500 करोड़ के इन्वेस्टमेंट पर 1000 करोड़ की ‘छूट’, बाबा रामदेव पर मेहरबान सरकार

भोपाल. बाबा रामदेव के 500 करोड़ रुपए के फूड प्रोसेसिंग प्रोजेक्ट को जमीन पर छूट के साथ-साथ सीएसटी और वैट में भी राज्य सरकार राहत देने जा रही है। पीथमपुर (धार) में 40 एकड़ जमीन मेसर्स पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को 25 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर पर दी जाएगी। इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पर कैबिनेट कमेटी ने मंगलवार को इसे मंजूरी दे दी। क्या है मामला…
-इसके अलावा फूड प्रोसेसिंग की छोटी इकाइयों के लिए हाल ही में आई निवेश पॉलिसी की छूट का दायरा बढ़ाते हुए उसमें पतंजलि को भी जोड़ दिया गया है।
-इस पॉलिसी में अभी तक सिर्फ 10 करोड़ रुपए तक का निवेश करने वालों को छूट मिलती थी, लेकिन इस दायरे को हटा दिया गया है।
-माना जा रहा है कि फूड प्रोसेसिंग की रिवाइज पॉलिसी भी जल्द कैबिनेट में रखी जाएगी।
दो सप्ताह तक विभाग अपना ओपिनियन दें
-बाबा रामदेव के प्रोजेक्ट के मामले में जब चर्चा चल रही थी, तब उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान ने यह बात उठाई कि उद्योगों के निवेश से जुड़े प्रस्तावों पर जब विभागों से अभिमत मांगा जाता है तो वे तीन-चार महीनों तक जवाब नहीं देते।
-बार-बार रिमाइंडर देने के बाद भी कहते हैं कि छूट दिया जाना उचित नहीं होगा। उनके निशाने पर वाणिज्यिक कर विभाग व राजस्व विभाग थे।
-इनके प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव व केके सिंह भी वहां मौजूद रहे।
-बैठक में मौजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इसे ठीक नहीं माना।
-सुलेमान ने यह भी कहा कि अब यदि दो सप्ताह में ओपिनियन नहीं दिया जाता है तो फिर वे विभाग अपना अभिमत कैबिनेट कमेटी की बैठक में ही दें।
-इस पर राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने सुझाव दिया कि दो सप्ताह तक जवाब न आए तो एक बैठक बुलाकर उनसे ओपिनियन पर बात की जा सकती है।
-अंतत: यह तय हुआ कि दो सप्ताह तक विभाग अपना ओपिनियन दें।
तो छूट 200 फीसदी होगी
-सीएसटी के रूप में जमा की गई राशि की शत-प्रतिशत वापसी अगले 10 साल तक होगी। यह निवेश की गई राशि के 200 प्रतिशत के बराबर होगी। यानी पतंजलि 500 करोड़ का निवेश करती है तो उसे 1000 करोड़ रुपए के वैट व सीएसटी में छूट मिलेगी।
-बिजली में एक रुपए प्रति यूनिट की छूट होगी। यह छूट व्यावसायिक उत्पादन से पांच साल के लिए होगी।
-हेजार्ड एनालिसिस एंड क्रिटिकल कंट्रोल प्वाइंट, गुड मेन्यूफेक्चरिंग प्रैक्टिसेस, आईएसओ, एगमार्क, एफपीओ, गुड लेबोरेट्री प्रेक्टिस और टोटल क्वालिटी मैनेजमेंट आदि प्रमाण पत्र के लिए शुल्क का 50 फीसदी सरकार देगी। जो अधिकतम 5 लाख रुपए तक होगा। यह 10 करोड़ तक की इकाई वालों के है, जिसे बढ़ाया जाना प्रस्तावित है।
-रिसर्च व पेटेंट के लिए भी सरकार मदद करेगी।
-ट्रांसपोर्टेशन में व्यय किए गए कुल व्यय का 30 फीसदी सरकार देगी। यह व्यवस्था अभी छोटी इकाइयों के लिए है, जिसे बढ़ाया जा सकता है।
-लागत पूंजी पर 25 फीसदी तक अनुदान होगा। यह अनुदान अधिकतम 2.5 करोड़ रुपए अभी तय किया गया है, जिसे बढ़ाया जा सकता है।