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वीके सिंह ने बताई बहादुर की कहानी-15 गोलियां लगीं, फिर भी उड़ाए बंकर, #Kargil

नई दिल्ली.देश आज कारगिल वॉर में पाकिस्तान पर जीत का जश्न मना रहा है। दिल्ली में अमर जवान ज्योति और द्रास सेक्टर में बने वॉर मेमोरियल में जांबाजों के बलिदान को याद किया गया। दूसरी ओर, 17वें विजय दिवस पर मोदी सरकार के मंत्री और आर्मी चीफ रहे जनरल वीके सिंह का एक फेसबुक पोस्ट वायरल हो रहा है। इसमें उन्होंने ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव की बहादुरी का किस्सा बताकर सैल्यूट किया। उन्हें सरकार ने शहीद समझकर परमवीर चक्र देने का एलान किया था। लेकिन असल में 15 गोलियां लगने के बाद वे एक अस्पताल में इलाज करा रहे थे। 3 गोलियां लगने पर भी 60 फीट चढ़ाई की…
– केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने लिखा- “योगेंद्र यादव आर्मी के 18 ग्रेनेडियर्स और ‘घातक’ कमांडो फोर्स के मेंबर थे।”
– “यादव और उनकी टीम को टाइगर हिल के तीन बंकरों पर कब्जा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।”
– “3 जुलाई, 1999 की अंधेरी रात में टाइगर हिल मिशन शुरू हुआ।”
– “लेकिन टाइगर हिल को जीतना आसान नहीं था। इसके लिए ग्रेनेडियर्स ने खतरनाक रास्ते से चढ़ने का फैसला किया।”
– “ये रास्ता इतना जानलेवा था कि दुश्मन सोच भी नहीं सकते थे कि भारतीय सैनिक यहां से आ सकते हैं।”
– “प्लान के मुताबिक, 100 फीट की खड़ी चढ़ाई करने के बाद आतंकियों के बंकरों पर हमला करना था।”
– “ग्रेनेडियर यादव ने खुद आगे बढ़ कर कमान संभाली। वे आगे चढ़कर टुकड़ी के लिए रस्सी बांध रहे थे।”
– “इसी बीच, दुश्मन ने मशीनगन और ग्रेनेड से कमांडो टुकड़ी पर हमला बोल दिया। ज्यादातर सैनिक शहीद हो गए।”
– “ग्रेनेडियर यादव को तीन गोलियां लगीं। बावजूद इसके उन्होंने आखिरी 60 फीट की खड़ी चढ़ाई पूरी की।”
बेल्ट से टूटा हाथ बांधकर दुश्मन पर झपटे यादव
– सिंह आगे लिखते हैं, “टाइगर हिल पर पहुंचे तो दुश्मन की भारी गोलीबारी ने उनका स्वागत किया।”
– “ग्रेनेडियर यादव एक जख्मी शेर की तरह दुश्मनों पर टूट पड़े। गोलीबारी के बीच पहले बंकर की तरफ धावा बोल दिया।”
– “मौत को चकमा देकर बंकर में ग्रेनेड फेंक कर यादव ने दुश्मनों को मौत की नींद सुला दिया।”
– “इसके बाद पीछे आ रही टुकड़ी पर हमला कर दूसरे बंकर की ओर झपटे। जान की परवाह किए बिना छलांग लगाई।”
– “मशीनगन संभाले 4 पाकिस्तानी सैनिकों को ग्रेनेडियर यादव ने अकेले मौत के घाट उतार दिया।”
– “जब तक उनकी टुकड़ी पास पहुंचती, यादव का एक हाथ टूट चुका था और करीब 15 गोलियां लग चुकी थीं।”
– “यादव ने साथियों को आखिरी बंकर पर हमले के लिए ललकारा और बेल्ट से अपना टूटा हाथ बांधकर धावा बोल दिया।”
– “जांबाज योगेंद्र यादव इस लड़ाई में जिंदा बच गए थे, लेकिन अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र देने का एलान किया गया।”
– “ग्रेनेडियर यादव को इस सम्मान की खबर हॉस्पिटल में मिली थी।”
– बता दें कि सरकार यह समझ रही थी कि यादव शहीद हो चुके हैं। जबकि वे इलाज करा रहे थे।
योगेंद्र के पिता ने PAK के खिलाफ लड़ीं दो जंग
योग्रेंद्र यादव यूपी के बुलंदशहर के रहने वाले हैं। उनके पिता करण सिंह भी आर्मी में थे।
– करण सिंह कुमांऊ रेजिमेंट की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ 1965 और 71 की लड़ाई में शामिल हुए थे।
– कारगिल वॉर के दौरान योगेंद्र की उम्र 19 साल थी। परमवीर चक्र पाने वाले देश के सबसे युवा सैनिक हैं।
– योगेंद्र फिलहाल 18 ग्रेनेडियर्स में सूबेदार हैं।