Breaking News

रचा इतिहास, IAF की फाइटर स्क्वॉड्रन में पहली बार शामिल हुईं 3 वुमन पायलट्स

नई दिल्ली. फ्लाइंग कैडेट्स भावना कांत, अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह ने शनिवार को इंडियन एयरफोर्स में इतिहास रच दिया। एयरफोर्स में कमीशन मिलने के साथ ये ऐसी पहली वुमन पायलट्स बन गई हैं, जो फाइटर जेट्स उड़ाएंगी। शनिवार सुबह हैदराबाद के हकीमपेट में इनकी पासिंग आउट परेड हुई। डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर इस मौके पर मौजूद थे।एयरफोर्स चीफ कह चुके हैं- नहीं बरती जाएगी कोई रियायत…
– एयरफोर्स चीफ अरूप साहा पहले ही कह चुके हैं कि इन पायलट्स को महिला होने की कोई रियायत नहीं मिलेगी। उन्हें फोर्स की जरूरत के हिसाब से तैनात किया जाएगा। 2017 में वे पूरी तरह से फाइटर पायलट बन जाएंगी। इनकी एक साल की एडवांस ट्रेनिंग कर्नाटक के बीदर में होगी।
– तीनों पायलट्स की फ्लाइंग ट्रेनिंग हैदराबाद एयरफोर्स एकेडमी में हुई थी।
– ट्रेनिंग में उन्होंने उड़ान के दौरान आने वाली हर मुश्किलों का सामना करना सीख लिया है।
ट्रेनिंग के एक्सपीरियंस, तीन पायलट्स की जुबानी
1. अवनि चतुर्वेदी- दूसरी उड़ान के कुछ देर पहले कैंसल करना पड़ा था टेकऑफ
– अवनि ने कहा था, ”दूसरी सोलो फ्लाइंग के कुछ मिनट पहले ही मुझे टेकऑफ कैंसल करना पड़ा था। फर्स्ट मार्कर के पास जैसे ही टेकऑफ के लिए रोलिंग शुरू की, मैंने कैनोपी वॉर्निंग सुनी।”
– उन्होंने कहा कि शुरुआत में वॉर्निंग उन्हें कन्फ्यूज्ड कर देती थी। पर अब ऐसा नहीं होता।
– उनका कहना है, ”पायलट को एक सेकंड से भी कम वक्त में फैसला लेना होता है कि कहीं मैंने टेकऑफ में एबोर्टिंग डिले तो नहीं कर दिया या ओपन कैनोपी में एयर तो नहीं आ गई। ये तबाही का कारण बन सकता है।”
2. भावना ने कहा- मैं सोचने लगी, अगर एयरक्राफ्ट ने रिस्पांड नहीं किया तो
– 20 हजार फीट पर पहली सोलो स्पिन फ्लाइंग पर जाने से पहले भावना कांत के दिमाग में भी कई विचार आए थे।
– उन्होंने कहा, ”मैं डाउट करने लगी कि कहीं एयरक्राफ्ट ने रिस्पॉन्ड नहीं किया तो क्या होगा?”
– ”हालांकि, मैं स्पिन के लिए गई और बतौर पायलट उसे पूरा किया। रिकवरी एक्शन ड्रिल ने हमें उबारा। जैसे ही एयरक्राफ्ट स्पिन से रिकवर हुई, वैसे ही मेरा कॉन्फिडेंस भी रिकवर हुआ।”
3. मोहना सिंहः पहली ही फ्लाइंग में हुआ था खराब मौसम से सामना
– फ्लाइंग कैडेट मोहना सिंह को पहली ही फ्लाइंग में खराब मौसम से जूझना पड़ा था।
– ”पहली नाइट फ्लाइंग में आसमान में तारों और जमीन पर लाइट के बीच अंतर नहीं कर पा रही थी।”
– ”इसके कारण उतनी ऊंचाई पर एयरक्राफ्ट मेंटेन करना मुश्किल हो गया था।”
– ”इस दौरान मैंने सीखा कि अपने सिर को बिना वजह मूव न करो और फिर मैंने कंट्रोल पूरा कर फ्लाइट को रिकवर किया।”
कौन हैं ये तीनों पायलट?
– अवनि मध्य प्रदेश के रीवा से हैं। उनके पिता एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और भाई आर्मी में हैं।
– भावना बिहार के बेगूसराय की रहने वाली हैं।
– मोहना गुजरात के वडोदरा की हैं। उनके पिता एयरफोर्स में वारंट अफसर हैं।
तीनों फोर्स में महिलाओं की क्या है स्थिति?
1. एयरफोर्स
– महिलाओं की हिस्सेदारी 8.5 फीसदी है, जो तीनों फोर्स में सबसे ज्यादा है।
– एयरफोर्स में वुमन पायलट्स ने अब तक ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर ही उड़ाए हैं। फोर्स की सात विंग में महिलाएं काम करती हैं- एडमिनिस्ट्रेशन, लॉजिस्टिक्स, मीट्रियोलॉजी, नेविगेशन, एजुकेशन, एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग और अकाउंट्स।
– एयरफोर्स में कुल 1500 महिलाएं हैं। इनमें से 94 पायलट हैं, जबकि 14 नेविगेटर हैं।
2. नेवी
– महिलाओं की हिस्सेदारी 2.8 फीसदी है।
– अभी नौसेना में भी महिला अफसरों को वॉरशिप पर जाने की इजाजत नहीं है।
3. आर्मी
– महिलाओं की हिस्सेदारी 3 फीसदी है।
– आर्मी में भी बॉर्डर पर जंग जैसे हालात में महिलाओं को भेजने की इजाजत नहीं है। आर्मी में ज्यादातर महिलाएं एडमिनिस्ट्रेटिव, मेडिकल और एजुकेशनल विंग में काम करती हैं।