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ट्रिपल आईटी में “लचीला शैक्षणिक कार्यक्रम“ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन

प्रयागराज । भारतीय संस्कृति से सम्बंधित शिक्षा नीति 150 साल बाद तैयार की गई है और देश की आजादी के बाद यह तीसरी शिक्षा नीति है। पहले दो शिक्षा नीतियां भी अच्छी थीं, लेकिन इन्हें पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका। अब समय आ गया है कि सभी शिक्षण संस्थान नई शिक्षा नीति को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए आगे आएं।
यह बातें शुक्रवार को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव डॉ अतुल कोठारी ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, प्रयागराज में “लचीला शैक्षणिक कार्यक्रम“ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के उपरान्त कहा। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के हिस्से के रूप में राष्ट्रीय संस्थानों में लचीले अकादमिक कार्यक्रम (एफएपी) को लागू करने की पहल करने के लिए ट्रिपल आईटी की सराहना की।
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में समग्र विकास की गुणवत्ता व्यापक है। इसमें अध्ययन, शिक्षण और परीक्षा के साथ-साथ रोजगारोन्मुख भी शामिल है। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग पर बल दिया गया है। इस नीति में सभी के सकारात्मक और रचनात्मक सुझावों को अपनाया गया है। इससे हमारी भारतीय ज्ञान परम्परा का गौरवशाली और प्राचीन गौरवशाली इतिहास एवं आधुनिकता स्थापित होगी।
ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रोफेसर पी नागभूषण ने अपने अध्यक्षीय भाषण में लचीली शिक्षा कार्यक्रम में परामर्श प्रणाली को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने नई शिक्षा नीति द्वारा परिकल्पित अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के कार्यान्वयन की वकालत की। निदेशक ने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास से आग्रह किया कि नए निदेशक या कुलपति की नियुक्ति में निरंतरता सुनिश्चित की जाए। उनके अनुसार निवर्तमान निदेशक के परिसर छोड़ने से पहले नए निदेशक को आना चाहिए। पूर्व निदेशकों और नए के बीच कोई उचित सम्बंध नहीं स्थापित होने के कारण पहले की योजनाएं साकार नहीं हो पाती।
कार्यक्रम समन्वयक प्रो नीतेश पुरोहित ने कहा कि अथक प्रयासों के बाद देश में विभिन्न संस्थानों द्वारा लचीला शैक्षिक कार्यक्रम (एफएपी) को लागू करने के लिए अंतिम चरण में है। ये कार्यक्रम नई शिक्षा नीति की बहु-विषयक, बहु-मोड, बहुभाषी, पार्श्व प्रविष्टि आदि सुविधाओं के साथ-साथ पुनः प्रवेश के प्रावधानों के साथ कई निकास की अनुमति देने पर ध्यान केंद्रित करता है। सम्मेलन का उद्देश्य एफएपी के शिक्षाविदों, प्रशासन और वित्तीय पहलुओं से सम्बंधित विभिन्न व्यावसायिक नियमों को ठोस बनाना है जिसके फलस्वरूप इसे शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से चार साल के लिए शुरू किया जाये।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत चतुर्वेदी ने एफएपी के पूर्ण कार्यान्वयन में तीन मुख्य चुनौतियों की ओर इशारा किया। एमएनएनआईटी के निदेशक प्रोफेसर राजीव त्रिपाठी ने आईआईआईटीए द्वारा किए गए प्रयासों की प्रशंसा की। प्रो0 मनिन्द्र अग्रवाल, आईआईटी कानपुर ने एफएपी के कार्यान्वयन पर जोर दिया। इस अवसर पर डॉ पंकज मित्तल सचिव भारतीय विश्वविद्यालय संघ और डॉ सतीश कुमार सिंह अध्यक्ष आईईईई यूपी ने भी बात की। अंत में कुलसचिव प्रो0 विजयश्री तिवारी ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।