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हमें इतिहास के दायरे में कैद नहीं कर सकते’योगी(‘योगी)

ज्ञानवापी: ज्ञानवापी पर ASI की सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है. ज्ञानवापी में ऐसे 32 सबूत मिलने का दावा किया गया है, जिनसे साबित होता है कि ज्ञानवापी में पहले मंदिर था. इस मामले पर पहली बार योगी  (‘योगी) आदित्यनाथ ने खुलकर प्रतिक्रिया दी है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की संस्कृति और भारत के लोग इतिहास से परे हैं. अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का भी जिक्र करते हुए सीएम योगी ने कहा कि ज्ञानवापी पर ASI की रिपोर्ट बहुत कुछ कहती है.

सीएम योगी आदित्यनाथ का रिएक्शन
सीएम योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि हमारी परंपरा ऐसी है जिस पर हमें गर्व होना चाहिए. हमारी प्राचीन परंपराओं और संस्कृति को देखते हुए हम भारतीयों को और भी ज्यादा गर्व होना चाहिए. यह हमारे इतिहास से भी परे है. इतिहास के दायरे में भी समय हमें सीमित नहीं कर सकता. हमारा इतिहास हजारों लाखों वर्षों का है.
ASI की सर्वे रिपोर्ट में क्या था?
बता दें कि ज्ञानवापी परिसर पर आई ASI की सर्वे रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि वहां धार्मिक स्वरूप मंदिर का ही है. यानी जिस जगह पर मस्जिद है वहां पहले से ही एक बड़ा मंदिर मौजूद है. 839 पन्नों वाली भारतीय पुरातत्व विभाग की सर्वे रिपोर्ट में पाया गया कि जहां ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई वहां पहले से ही मंदिर मौजूद है. ASI ने अपनी रिपोर्ट में तस्वीरों के साथ इस बात के प्रमाण भी दिए. जिसमें इस बात का दावा किया गया कि मंदिर को तोड़कर ही मस्जिद का निर्माण कराया गया.

ज्ञानवापी में क्या-क्या मिला?

ASI ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में इस बात का भी दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर में मंदिर होने के 32 सबूत मिले हैं. ज्ञानवापी का धार्मिक स्वरूप हिंदू मंदिर का है. और मंदिर को तोड़कर वहां पर मस्जिद बनाई गई. ज्ञानवापी के खंभों पर हिंदू देवी-देवताओं के प्रतीक चिन्ह होने का भी दावा किया गया है. वहीं, ज्ञानवापी के खंभों पर पशु-पक्षियों के चिन्ह मिलने की भी सर्वे रिपोर्ट में बात कही गई है.

पश्चिमी दीवार का क्यों हुआ जिक्र?

ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करने वाली ASI की टीम ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर हिंदू मंदिर का बचा हुआ हिस्सा अभी भी मौजूद है. और मस्जिद को मंदिर के स्तंभों के ऊपर ही बनाया गया है. वहीं, ज्ञानवापी में शिलालेख मिलने की भी बात कही गई है जो प्राचीन देवनागरी, तेलगु और कन्नड़ भाषा में लिखे हुए हैं. बताया गया कि इन शिलालेखों पर जनार्दन, रूद्र और उमेश्वरा नाम भी लिखा हुआ मिला.