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सिक्किम में 73 साल ( 73 years)बाद पहुंचेगी रेल

सिवोक प्रोजेक्ट: सिक्किम भारत का पूर्वोत्तर सीमा से लगा महत्वपूर्ण राज्य है. अभी सिक्किम को शेष भारत से जोड़ने के लिए केवल एनएच10 ही रास्ता है. ख़राब मौसम में ये रास्ता बंद हो जाता है, जबकि बारिश के मौसम में तीस्ता नदी के वेग से सड़कें बह जाती हैं. इस सिवोक प्रोजेक्ट में चूंकि ज़्यादातर टनल है इसलिए मौसम की मार अब कनेक्टिविटी को बदहाल नहीं कर सकती.

1950 में सिक्किम भारत में शामिल हुआ था और अब तक 73 सालों ( 73 years) में यहां ट्रेन नहीं पहुंच सकी है. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुप्रचारित ‘लुक ईस्ट’ नीति के तहत रेलवे ने एक नया रेल मार्ग नेटवर्क बनाकर राज्य को रेल मानचित्र पर लाने के लिए कई रेल परियोजनाएं शुरू की हैं. ऐसा ही एक प्रोजेक्ट है सिवोक रैंगपो.
सिवोक प्रोजेक्ट एक ऐसा प्रोजेक्ट है जो कि सिक्किम को बाक़ी भारत से रेलवे लाइन के माध्यम से जोड़ देगा. बता दें कि अब तक केवल सिक्किम ही ऐसा राज्य है जहां पर रेलवे लाइन नहीं पहुंची. सिवोक प्रोजेक्टप्रोजेक्ट की मदद से बंगाल से सिक्किम सिर्फ़ 2 घंटों में पहुंचा जा सकेगा.

सिवोक प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट बेहद जटिल भौगौलिक स्तिथियों में तैयार हो रहा है. इसमें सबसे ज़्यादा टनल और ब्रिज हैं. इस प्रोजेक्ट में 38.62 किमी यानी 86% टनल है, जबकि 5% ब्रिज. इन सुरंगों का निर्माण न्यू ऑस्ट्रियन टेक्नोलॉजी से किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 44.96 किमी है, जिसमें 14 सुरंग, 22 ब्रिज और 5 रेलवे स्टेशन हैं जो कि सिवोक, रियांग, तीस्ता, मेल्ली और रैंगपो है. ख़ास बात ये है कि ये 2010 में प्रोजेक्ट शुरू किया गया था, पर मुश्किल भौगौलिक स्तिथियों की वजह से ये प्रोजेक्ट आगे बढ़ता रहा.
सिक्किम भारत का पूर्वोत्तर सीमा से लगा महत्वपूर्ण राज्य है. अभी सिक्किम को शेष भारत से जोड़ने के लिए केवल एनएच10 ही रास्ता है. ख़राब मौसम में ये रास्ता बंद हो जाता है, जबकि बारिश के मौसम में तीस्ता नदी के वेग से सड़कें बह जाती हैं. इस सिवोक प्रोजेक्ट में चूंकि ज़्यादातर टनल है इसलिए मौसम की मार अब कनेक्टिविटी को बदहाल नहीं कर सकती. इसके साथ ही सिक्किम एक बॉर्डर राज्य है जहां हमेशा चीन की निगाह रहती है, ऐसे में इस कनेक्टिविटी का फ़ौज को भी फ़ायदा मिलेगा.
सुरक्षा के लिहाज से रेलवे का यह प्रोजेक्ट काफ़ी महत्वपूर्ण है. एक तरफ चीन की चुनौतियां और दूसरी तरफ डोकलाम में चीन की मनमानी का जवाब देने के लिए शिवोक से सिक्किम के बीच बनने जा रही रेल लाइन काफ़ी ख़ास है. इस रेल लाइन के बनने से न केवल स्थानीय लोगों को मदद मिलेगी, बल्कि इससे पर्यटकों और सेना को भी काफी सहूलियत होगी. चीन के कब्जे वाले तिब्बत और अन्य क्षेत्रों के साथ देश की सीमा साझा करने के साथ आपातकाल के दौरान सैनिकों को साधन जुटाने और आपूर्ति श्रृंखला बनाए रखने में यह बहुत सहायक रणनीतिक भूमिका निभाएगी.
सिवोक रैंगपो प्रोजेक्ट पहला फेज है इसके दूसरे और सबसे महत्वपूर्ण फेज में ये गंगटोक होते हुए नाथूला बॉर्डर तक जाएगी. चीन बॉर्डर एरिया में कई तरह के निर्माण करता रहा है. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ना केवल नार्थ-ईस्ट, बल्कि उत्तर भारत के लेह तक भी ऐसे ही प्रोजेक्ट बना कर बॉर्डर तक सेनाओं के पहुँचने को आसान बना रहे हैं.