Breaking News

जा सकती है आँखों की रौशनी न करें ये गलतियां

New Delhi:हाल ही में एक घटना हुई,जिसने यह साबित किया कि जरूरत से ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल हमारी आंखों के लिए खतरनाक हो सकता है। हैदराबाद के एक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ सुधीर कुमार ने में लिखे एक आर्टिकल में बताया कि कैसे कैसे एक 30 वर्षीय महिला ने अपने स्मार्टफोन के कारण अपनी आखों की रोशनी खो दी। कुछ वर्षों पहले तक स्मार्टफोन टेक्नोलॉजी ज्यादा विकसित नहीं हुई थी। हालांकि, आज स्मार्टफोन ब्रांड्स अपने डिवाइस को कई डिस्प्ले टेक्नोलॉजी से लैस बनाते हैं, जो हमारी आंखों को स्ट्रैस या अन्य खतरों से दूर रखने की कोशिश करती हैं।

दक्षिण चीन सागर में खोजा गया मोंटेवीडियो मारू का मलबा

आज के समय में लगभग सभी ब्रांड्स के स्मार्टफोन डार्क मोड से लैस आते हैं। यह एक तरह का डार्क थीम होता है, जो ऐप्स या किसी भी स्क्रीन के बैकग्राउंड को काले या डार्क ग्रे रंग में बदल देता है। इससे कम रोशनी या अंधेरे में स्मार्टफोन इस्तेमाल करते समय या टेक्स्ट पढ़ते समय आपकी आंखों में स्ट्रैस नहीं पड़ेगा। ब्लू लाइट भी हमारी आंखों के लिए सबसे बड़ी दुश्मन होती है। स्मार्टफोन हो या लैपटॉप या टीवीए सभी डिस्प्ले ब्लू लाइट एमिट करते हैं। ज्यादा ब्राइटनेस तो आपकी आंखों के लिए खतरनाक होती ही है, साथ ही किसी खास परिस्थिति में जरूरत से कम ब्राइटनेस आपकी आंखों पर बुरा प्रभाव डालती है। आपके स्मार्टफोन स्क्रीन पर टेक्स्ट का साइज बड़ा हो। ज्यादा छोटे साइज के कारण आंखों को टेक्स्ट पढ़ने में काफी तनाव लेना पड़ता है।एक 20/20/20 नियम भी होता है। इसका मतलब है कि हर 20 मिनट में आपको कम से कम 20 सेकंड के लिए कम से कम 20 फीट दूर किसी चीज को देखने की जरूरत है। यह आपकी आंखों की सुरक्षा के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है।