मतदाता हूँ मुझको थोड़ा प्यार चाहिए!
भीख नहीं अब मुझको भी अधिकार चाहिए !
झूठ और धोखे से जनमत हरने वालो !
हमको भी तो जीने का आधार चाहिए !
पांच साल में तुम करते लम्बे घोटाले !
अपनों के खातिर हमको व्यापार चाहिए !
घूस खोर ही भरे हुए हैं इस सिस्टम में!
और नहीं अब हमको भ्रष्टाचार चाहिए!
चोर चोर तो मौसेरे भाई होते हैं !
जीत चुके तुम अब तो हमको हार चाहिए !
जागो भारत जागो
वी ऐस इंडिया न्यूज दैनिक साप्ताहिक विचार सूचक समाचार पत्र ️स.संपादक शिवाकान्त पाठक
हरिद्वार उत्तराखंड