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ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर स्कूलों की मनमानी

स.सम्पादक शिवाकान्त पाठक

पहले से ही अभिभावकों काफी परेशानिया, ऐसे में आर्थिक बोझ न डाला जाए..

मौजूदा संकट के दौर में काफी लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और शायद लंबे दौर तक यह लड़ाई जारी रहे। वैसे तो कोरोना संक्रमण के कारण इस सत्र में अभी तक एक भी दिन स्कूलों को नहीं खोला गया है लेकिन कई बार निजी स्कूलों द्वारा फीस को लेकर अभिभावकों पर दबाव जरूर बनाया जा रहा है। खबरें यहां तक आईं कि राजधानी व कई जिलों के कई निजी स्कूलों ने तो फीस जमा नहीं करने पर बच्चों की आइडी ब्लॉक कर उन्हें आनलाइन कक्षा से बाहर कर दिया है। यहीं नहीं, अब स्कूल वाले शिक्षण शुल्क के साथ-साथ कंप्यूटर और स्मार्ट क्लास की भी फीस अभिभावकों से मांग रहे हैं। स्कूल बंद है, लेकिन कई स्कूल बस फीस की भी मांग कर रहे हैं।इसके विरोध में अभिभावकों ने हाल ही में प्रदर्शन भी किया अभिभावकों का यह भी कहना है कि वे मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी के पास भी कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि कुछ जगहों पर प्रशासन बाकायदा कह रहा है कि फीस जमा नहीं करने के कारण किसी भी बच्चे की पढ़ाई नहीं रुकेगी। पर हकीकत में ऐसा नहीं हो रहा है।गौरतलब है कि जहां कई स्कूल फीस नहीं भरने पर बच्चों को स्कूल के दायरे से बाहर करने के प्रयास कर रहे हैं, वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने हाल ही में यह घोषणा की कि राज्य सरकार द्वारा संचालित कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए विद्यार्थियों से कोई आवेदन शुल्क नहीं लिया जाएगा। यहां तक कि विवरण पुस्तिका भी बिना पैसे के मिलेगी।इसी तरह स्नातक पाठ्यक्रमों वाले विश्वविद्यालय भी आवेदकों से कोई शुल्क नहीं लेंगे। कोविड-19 के चलते विद्यार्थी और उनके अभिभावकों पहले से ही काफी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में उन पर किसी भी तरह का आर्थिक बोझ न डाला जाए। ऐसा फैसला सरकार को ओर अन्य राज्यों के सकूलों में भी विकसित करना चाहिए, ताकि अभिभावकों का बोझ कुछ कम हो सके।