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भूकंप आने से पहले करेगा ALERT, 10वीं पास ने जुगाड़ से बनाया यंत्र

गोरखपुर. 10वीं में पढ़ने वाले स्टूडेंट विकास ने जुगाड़ से एक ऐसे यंत्र का आविष्कार किया है, जो भूकंप आने की सूचना आधे घंटे पहले देता है। यह भूकंप के केंद्र के साथ प्रभावित होने वाली जगह के बारे में भी सटीक जानकारी देता है। वह इस ‘भूकंप सचेतक यंत्र’ का सफल परीक्षण भी कर चुका है।
कैसे काम करता है यंत्र
– यंत्र में लगी सूई और कांच के टुकड़े चुंबकीय बल (मैग्नेटिक पॉवर) से भूकंप की स्थिति और सही दिशा का पता लगाते हैं।
– भूकंप आने के ठीक पहले कांच टूट जाते हैं और सूई उस दिशा में जाकर गिरती है, जिस दिशा में भूकंप आना होता है।
– भूकंप आने के आधे घंटे पहले यंत्र में लगी लाइटें बंद हो जाती हैं।
– इससे देश के कई राज्यों सहित आसपास के देशों में भी आने वाले भूकंप का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
इन चीजों का हुआ है प्रयोग
– यंत्र बिजली की सहायता से चलता है।
– यह 240 वोल्ट करेंट पर काम करता है।
– तांबा, एल्युमिनियम, कॉपर, लेड बल्ब, डाय बोर्ड, कंडेंसर, बाइंडिंग वायर, आलपिन और शीशे का प्रयोग हुआ है।
– इसकी लागत 10 हजार रुपए है।
8 साल में बना यंत्र
– विकास बताता है कि 8 साल से वह इस शोध में लगा हुआ था।
– उसके स्कूल के टीचर बृजराम मिश्र ने उसे इस यंत्र को बनाने के लिए मोटिवेट किया था।
– उस समय वह क्लास-4 में था।
– टीचर ने जिस मॉडल का अधूरा स्केच तैयार कराया था, उसके पूरा होने के पहले ही 2011 में उनका निधन हो गया।
– इसके बाद विकास ने मॉडल का स्केच तैयार किया और एक साल के अंदर पूरा यंत्र तैयार कर लिया।
कई बार दे चुका है भूकंप की सूचना
– 2012 में भूकंप आने के आधे घंटे पहले ही उसने अपने पं. जवाहर लाल नेहरू इंटर कालेज में इसकी सूचना दी थी।
– इसके बाद से कई लोग यंत्र को खरीदने के लिए उस पर दबाव बनाने लगे।
– पिछले साल 25 अप्रैल को आए भूकंप के आधे घंटे पहले भी उसने इसका परीक्षण किया जो सफल रहा।
मोदी को देना चाहता है यंत्र
विकास के पिता फूलचंद प्रसाद ऑटो चालक हैं। वह इस यंत्र को और अधिक विकसित कर नरेंद्र मोदी को देना चाहता है। इसे सौर ऊर्जा से चलाने और 10 किलोमीटर तक की रेंज में भूकंप आने से पहले सायरन की आवाज पैदा करने के लिए और आर्थिक मदद की जरूरत है। इसके लिए उसने सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
कुलपति करेंगे मदद
मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति प्रोफेसर ओंकार सिंह ने कहा कि बिना जांच के इस पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। विश्वविद्यालय उसकी सहमति से उसके शोध को पेटेंट कराने और उसकी आर्थिक मदद करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि सिविल और इलेक्ट्रानिक विभाग के शिक्षकों की मदद से उसके इनोवेशन को आगे बढ़ाने में उसकी मदद की जाएगी।