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बोगस कंपनियों के जरिये काला धन सफेद किया जा रहा था,हवाला कारोबार की तरफ घूमी जांच  

कानपुर। इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर से मिली भारी भरकम नकदी (181 करोड़) के बाद जांच का दायरा भी बढ़ गया है। हवाला कारोबार की दिशा में भी जांच शुरू कर दी गई है। सूत्रों के अनुसार अब यह पता किया जा रहा कि कैश कहां से और कैसे आता था। अब कई और लोगों के भी शामिल होने की आशंका है। सूत्रों के अनुसार पीयूष जैन कानपुर,मुंबई,दिल्ली के अन्य कारोबारियों के साथ मिलकर लंबे समय से हवाला कारोबार में शामिल है। रिश्तेदार ट्रांसपोर्टर प्रवीण जैन के जरिये रकम इधर से उधर भेजी जाती थी।
इसके लिए कमीशन भी सेट था। कमीशन कैश में दिया जाता था। इसके चलते ही बेहद कम समय में बेशुमार दौलत जमा हो गई। कारोबारी के घर में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं। ऐसे में मोबाइल,लैपटॉप,कंप्यूटर आदि की जांच की जाएगी। ताकि पूरे रैकेट का खुलासा हो सके। पिछले सालों के रिकार्ड भी निकलवाए जा रहे हैं। डीजीजीआई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आयकर विभाग,ईडी,ईओडब्ल्यू या अन्य जांच एजेंसी भी जांच शुरू कर सकती हैं।
बड़े पैमाने पर हो रही थी जीएसटी की चोरी
दरअसल, आयकर के नियमों के मुताबिक काला धन या अघोषित आय मिलने पर 60 फीसदी टैक्स,15 फीसदी पेनाल्टी और 10 फीसदी ब्याज जमा करके अपनी रकम वापस ली जा सकती है। हालांकि आय का स्रोत स्पष्ट करना होगा। इस मामले में अभी भी आय का स्रोत स्पष्ट नहीं है। 100 से ज्यादा बोगस कंपनियों के जरिये काला धन सफेद किया जा रहा था। डीजीजीआई को भी जांच में यह बात पता चली है।
जांच में पता चला है कि इत्र कारोबारी, पान मसाला कारोबारी और ट्रांसपोर्टर बड़े पैमाने पर जीएसटी की चोरी कर रहे थे। दौ सौ से ज्यादा फेक इनवाइस मिली हैं। इनमें ई-वे बिल भी नहीं था। मौके पर जो स्टाक और तैयार माल मिला है, उसमें भारी अंतर है। ऐसे में बड़े पैमाने पर कर चोरी की आशंका है। जांच टीमें रिकॉर्ड के आधार पर मूल्यांकन कर रही हैं।
पड़ोसी को नहीं पता मालिक का नाम
इत्र कारोबारी के जिस घर में भारी भरकम नकदी मिली है, उससे महज डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर उसका एक और मकान है। हालांकि उसके पड़ोसियों तक को नहीं पता कि मकान किसका है। डीजीजीआई की टीम ने गुरुवार को आनंदपुरी स्थित मकान नंबर 139 में छापा मारा था, लेकिन यहां कुछ नहीं मिला था।
इसके बाद टीम ने कुछ दूरी पर बने मकान में छापा मारा। यहां से 177 करोड़ की नकदी मिली। सूत्रों के अनुसार कारोबारी का क्षेत्र में ही एक ऑफिस भी है,लेकिन यह जानकारी भी बहुत कम लोगों को है। छापा पड़ने के बाद ही लोग उसकी अन्य संपत्तियों के बारे में जान पाए।