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झारखंड कैबिनेट फैसला : किसानों की फसल नष्ट होने पर सरकार करेगी भरपाई

 

रांची झारखंड के किसानों को राज्य सरकार ने तीन बड़ा तोहफा दिया है। राज्य के किसानों का 50 हजार तक बैंक कर्ज माफ करने के प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद की बुधवार को हुई बैठक में मंजूरी दे दी गई है। इससे वर्ष 2020-21 के दौरान राज्य के 9.07 लाख किसानों को फायदा होगा। इसके लिए दो हजार करोड़ रुपए का बजट रखा गया है।

इसके साथ ही किसानों की आय बढ़ाने के लिए करीब 355.27 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा झारखंड राज्य फसल राहत योजना पर कैबिनेट की मुहर लग गई है। इस योजना के लिए 100 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। कैबिनेट सेक्रेटरी अजय कुमार ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने पहली बार 63 प्रस्तावों पर स्वीकृति की मुहर लगाई है।

इसके अंतर्गत 12.5 लाख आवेदन आए। इसमें 9.07 लाख मानक खाते मिले हैं। इनमें प्रति परिवार एक सदस्य का पचास हजार तक का बैंक लोन सरकार चुकायेगी। राशि किसान के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से भुगतान की जाएगी। बैंक अकाउंट आधार लिंक होना चाहिए। एक ही सदस्य को इसका लाभ मिले इसके लिए राशन कार्ड का विवरण भी अपलोड करना होगा। 31 मार्च 2020 तक ऋण लेने वाले किसानों को इसका लाभ मिलेगा। इस योजना में लघु एवं सीमांत रैयत एवं गैर रैयत दोनों प्रकार के किसानों को शामिल किया गया है। किसान झारखंड के नागरिक होने चाहिए। उनकी आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। इस योजना का लाभ पूर्व एवं वर्तमान सांसद, विधायक, मंत्री, पूर्व मंत्री, नगर निकायों के वर्तमान अध्यक्ष, जिला परिषद के वर्तमान अध्यक्षों को नहीं मिलेगा। केंद्र या राज्य सरकार के अधिकारी, कर्मी या सेवानिवृत कर्मी-अधिकारी को भी इस योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा। दस हजार मासिक पेंशन वालों को भी इस योजना से बाहर रखा गया है।
इस योजना का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है। यह केंद्र और राज्य योजना के अंतर्गत संचालित होगी। सरकार ने 355.27 करोड़ का प्रावधान किया गया है। वर्ष 2020-21 में संचालन के लिए 154.67 करोड़ की स्वीकृति दी गई है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को गाय, सूकर, बकरी आदि जानवर अनुदान पर उपलब्ध कराये जाएंगे। योजना को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए संबंधित विभागों को एक प्लेटफार्म पर लाया गया है। इसके लिए जिला स्तर पर लक्ष्य निर्धारित अनुदान दिया जाएगा।
किसानों की फसल नष्ट होने पर अब इंश्योरेंस कंपनी के माध्यम से क्षतिपूर्ति देकर भरपाई नहीं की जाएगी बल्कि खुद राज्य सरकार सीधे किसानों की नष्ट हुई फसल की क्षतिपूर्ति करेगी। इस योजना के लिए 100 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने पास कर दिया है। सरकार ने यह निर्णय इसलिए लिया है क्योंकि विगत वर्षों से देखा जा रहा है कि सरकार बीमा कंपनी को अधिक प्रीमियम देती है जबकि किसानों को भुगतान कम हो रहा है। वर्ष 2016 में सरकार ने बीमा कंपनी को 153 करोड़ का प्रीमियम दिया जबकि किसानों को केवल फसल नष्ट होने पर क्षतिपूर्ति के रूप में 29 करोड़ का भुगतान बीमा कंपनी की ओर से हुआ। कमोवेश यही स्थिति 2017 और 2018 में भी देखने को मिली। इसलिए राज्य सरकार ने अब खुद ही किसानों को क्षतिपूर्ति देने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई है।