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जैविक (biological ) हथियारों के प्रयोग पर प्रतिबंध

नई दिल्‍ली. भारत ने शुक्रवार को एक बार फिर जैविक (biological )  हथियारों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने के महत्व पर जोर दिया. ऐसी आशंका है कि इनका प्रयोग संभावित रूप से रूस-यूक्रेन संघर्ष को जैव रासायनिक युद्ध में बदल सकता है. भारत ने पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक से अपना रुख बनाए रखा है. सदस्‍यों से परामर्श का आह्वान करते हुए, भारत ने कहा कि वह एक प्रमुख वैश्विक और गैर-भेदभावपूर्ण निरस्त्रीकरण सम्मेलन के रूप में जैविक और विषाक्त हथियार सम्मेलन को ‘उच्च महत्व’ देता है.

यूएनएससी ब्रीफिंग में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र ने कहा ‘बीटीडब्ल्यूसी के अक्षरश: और पूर्ण भावना सहित और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है. हम यह भी मानते हैं कि बीटीडब्ल्यूसी के तहत दायित्वों से संबंधित किसी भी मामले को कन्वेंशन के प्रावधानों के अनुसार और परामर्श और सहयोग के माध्यम से ही संबोधित किया जाना चाहिए.

दरअसल भारत की चिंताएं, रूसी विदेश मंत्री मारिया ज़खारोवा के उस दावे से पैदा हुईं थी, जिसमें कहा गया था कि यूक्रेन, अमेरिकी समर्थन से रासायनिक और जैविक प्रयोगशालाएं चला रहा है. रूस ने युद्धग्रस्त देश में अमेरिकी जैव-प्रयोगशालाओं की जानकारी देने के संबंध में वैश्विक सुरक्षा परिषद की एक आपातकालीन बैठक बुलाई थी. हालांकि इस आरोप का अमेरिका ने एक बार फिर दृढ़ता से खंडन किया है. यूएनएससी में अमेरिकी प्रतिनिधि ने कहा ‘पिछले हफ्ते, हमने रूसी प्रतिनिधि से विचित्र षड्यंत्र के बारे में सुना था. अब इस हफ्ते, हम बहुत सी ऐसी बातें सुन रहे हैं जो ऐसा लगता है जैसे यह सब उन्‍हें इंटरनेट के किसी अंधेरे कोने से एक ईमेल पर भेजा गया था.’ उन्‍होंने कहा कि ‘यूक्रेन के पास जैविक हथियार कार्यक्रम नहीं है, ऐसी कोई प्रयोगशाला भी नहीं है, रूस की सीमा के पास नहीं, कहीं भी नहीं. केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं हैं… यह रूस है जिसने लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन में एक जैविक हथियार कार्यक्रम बनाए रखा है.’

पिछले हफ्ते भी, संयुक्त राष्ट्र के दूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने वाशिंगटन की स्थिति का बचाव करते हुए कहा था कि यूक्रेन के पास जैविक हथियार कार्यक्रम नहीं था, जैसा कि दावा किया गया था. उन्‍होंने कहा था कि यह रूस हो सकता था जो यूक्रेन में रासायनिक या जैविक हथियारों का उपयोग कर सकता था. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने जवाब में कहा था कि ‘हमें पूरी उम्मीद है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रही सीधी बातचीत से शत्रुता समाप्त हो जाएगी. कूटनीति और संवाद के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. गंभीर मानवीय स्थिति पर तत्काल और तुरंत ध्यान देने की जरूरत है.