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छात्रावास छोड़ो वरना नहीं मिलेगी डिग्री’

प्रयागराज :इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने बिना इजाजत हॉस्टलों में रह रहे अंत:वासियों को तीन दिनों के भीतर यानी एक फरवरी तक छात्रावास खाली करने को कहा है। कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव के निर्देश पर डीएसडब्ल्यू प्रो. केपी सिंह की ओर से जारी अल्टीमेटम में कहा गया है कि ऐसा नहीं करने वाले छात्रों की डिग्री रोक दी जाएगी। सोमवार तक सभी हास्टलों के अधीक्षकों से रिपोर्ट भी तलब की गई है।

डीएसडब्ल्यू की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि हॉस्टलों में बगैर इजाजत के रह रहे अंत:वासी यदि तीन दिन में कमरा खाली नहीं करते हैं तो उन्हें परीक्षा में शामिल होने की इजाजत नहीं दी जाएगी। उक्त निर्देश ऐसे छात्र-छात्राओं का प्रवेश पत्र निर्गत करने पर रोक, परीक्षा में शामिल होने पर पाबंदी, परीक्षा परिणाम व मार्कशीट जारी नहीं होने, डिग्री रोकने और छात्रावास आवंटन रद करने की बात भी शामिल है। इसके बाद चीफ प्रॉक्टर प्रो. हर्ष कुमार की तरफ से आगे की कार्रवाई की जाएगी।
कोरोना वायरस संक्रमण के शुरूआती दौर में इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी हॉस्टलों को खाली करा लिया था। बाद में कुछ छात्र-छात्राएं प्रतियोगी परीक्षा या पढ़ाई बाधित होने की वजह से विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बगैर हॉस्टल में आकर रहने लगे। इस बात की सूचना मिली तो सात जनवरी को कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने डीएसडब्ल्यू और सभी हॉस्टलों के अधीक्षकों की बैठक बुलाई और बगैर अनुमति हॉस्टल में रहने वाले छात्रों को अवैध करार देते हुए उन्हें तत्काल हॉस्टल खाली करने के निर्देश दिए।

इसी क्रम में रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ल ने नोटिफिकेशन जारी कर ऐसे अंत:वासियों से पांच गुना जुर्माना वसूलने के निर्देश दिए। इससे भी बात नहीं बनी और हॉस्टल खाली नहीं हुए।

इविवि प्रशासन ने हॉस्टल खाली कराने का नया दाव चला है। इविवि से संबद्ध सभी हॉस्टलों के अधीक्षक, संरक्षक और वार्डेन को पत्र भेजकर कहा गया है कि इस आशय की सूचना अंत:वासियों के अभिभावकों को पत्र के जरिए दी जाए। इविवि प्रशासन के इस प्रयास को छात्रों पर दबाव बनाने की एक और कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। अंत:वासियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का डंडा यदि प्रभावी साबित नहीं हुआ तो अभिभावकों का दबाव शायद काम कर जाए और अंत:वासी छात्रावास खाली कर दें।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ. जया कपूर ने कहा कि रजिस्ट्रार की ओर से पूर्व में जारी आदेशानुसार पांच गुना जुर्माना न देने वाले छात्रों के खिलाफ अनुशासत्मक कार्रवाई की जा सकती है।