Breaking News
Cabinet Meeting Will Be Held Today
www.vicharsuchak.in

गोरखपुर के मजदूर की दिल्ली में हुई मौत,शव न पहुंचने पर सीएम योगी ने लिया संज्ञान

गोरखपुर। दिल्‍ली में बीमारी (कोरोना नहीं) से मृत व्‍यक्ति के परिजनों की गुहार सीएम तक पहुंची तो पूरी यूपी सरकार हरकत में आ गई। दिल्‍ली में युवक की मौत के बाद यूपी सरकार के अधिकृत ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया कि मुख्‍यमंत्री ने दिल्‍ली में हुई गोरखपुर के निराश्रि‍त की मौत को संज्ञान लेते हुए दिल्‍ली के लिए नोडल अफसर बनाए गए गोरखपुर के डीएम को निरा‍श्रित व्‍यक्ति के परिजनों तक सहायता पहुंचाने को कहा है।

हरकत में आई सरकारी मशीनरी

अपर मुख्य सचिव (गृह एवं सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी और निदेशक, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग शिशिर को टैग करते हुए किए दो ट्वीट के बाद सरकारी मशीनरी हरकत में आई और गोरखपुर के उस परिवार को खोज निकाला गया। गोरखपुर के डीएम के. विजयेंद्र पाण्डियन ने कहा कि मृतक के परिजनों को दो लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। साथ ही महिला को योग्यता के अनुसार, नौकरी के अलावा सीएम आवास दिया जाएगा।

यह है सरकार का ट्वीट

मुख्यमंत्री ने दिल्ली में एक निराश्रित व्यक्ति की मृत्यु की खबर का संज्ञान लिया। उन्होंने दिल्ली के लिए बनाए गए नोडल अफसर और गोरखपुर DM को निर्देशित किया कि तत्काल उस व्यक्ति के शव को गोरखपुर में उनके परिजनों तक पहुंचाने की व्यवस्था करें।

इसके बाद दूसरा ट्वीट भी किया गया। दूसरे ट्वीट में लिखा गया कि मुख्यमंत्री ने परिजनों को, नियमानुसार आर्थिक सहायता प्रदान करने के भी निर्देश दिए हैं।

चिकन पॉक्स से हुई मौत, नहीं आ पाया था शव

चौरीचौरा का रहने वाला सुनील दिल्‍ली में रहकर मजदूरी करता था। बीते दिनों चिकन पॉक्‍स से उसकी मौत हो गई। लॉकडाउन के कारण उसका शव दिल्‍ली से गोरखपुर नहीं आ पाया तो परिजनों ने पुतला बनाकर अंतिम संस्कार कर दिया।

डुमरी खुर्द का सुनील दिल्ली में मजदूरी करता था। पत्नी पूनम पांच बच्चों के साथ गांव में रहती है। लॉकडाउन का पालन करने के चलते सुनील घर नहीं आ सका। इसी बीच चिकनपॉक्स होने पर उसे सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। 14 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। दिल्ली पुलिस ने अगले ही दिन ग्राम प्रधान को सूचना भेज दी।

इसके बाद एक-एक करके परिवार, पुलिस और प्रशासन को इसकी जानकारी हुई, लेकिन किसी ने गरीब का शव घर तक लाने के लिए ठोस पहल नहीं की। नतीजतन सुनील का शव एक हफ्ते तक मोर्चरी में पड़ा रहा। इधर, इंतजार करके थक चुके बेबस परिवार ने पुरोहितों की सलाह पर सुनील का पुतला बनाकर अंतिम संस्कार कर दिया। डेढ़ साल के बेटे अभि ने मुखाग्नि दी। सुनील की मौत के बाद पूनम के सामने बेटी नीशू, खुशबू, निशि, अनुष्का व बेटा अभि की परवरिश का संकट खड़ा हो गया।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद मिलेगी मदद

सुनील की पत्नी पूनम ने मंगलवार को एसडीएम अर्पित गुप्ता एवं तहसीलदार रत्नेश त्रिपाठी से मुलाकात की। उसने गुजारे के लिए आर्थिक मदद के साथ आवास, विधवा पेंशन एवं बच्चों के पढ़ाई के लिए व्यवस्था कराने की गुहार लगाई। तहसीलदार ने बताया कि पत्नी ने सुनील का दिल्ली में अंतिम संस्कार कराकर दस्तावेज उपलब्ध कराने की मांग की है। फिलहाल जनसहयोग से उसके खाते में 76500 रुपये जमा करा दिए गए हैं।

शास्त्र सम्मत है पुतला दहन

धर्माचार्य पंडित शरदचंद्र मिश्र व डॉ. जोखन पांडेय के अनुसार गरुड़ पुराण के मुताबिक, पुतला दहन में सभी प्रक्रियाएं शव दाह की तरह ही होती हैं। बांस के टुकड़ों से मानव आकृति बनाई जाती है। इसके बाद कई अन्य विधान द्वारा पुतला मानव के बराबर बनाया जाता है। यदि पुतला दहन के बाद शव मिल गया तो उसका दाह संस्कार नहीं किया जाता, उसे जल में प्रवाहित कर दिया जाता है या भूमि में दबा दिया जाता है।

दिल्ली से युवक की गुहार पर जिला प्रशासन ने की मदद

कोरोना संक्रमण के बीच जिला प्रशासन लोगों की मदद में मुस्तैदी से जुटा है। जिला प्रशासन इस बात का पूरा ख्याल रख रहा है कि हर जरूरतमंद को सही समय पर जरूरी सुविधाएं मिलें। गोरखपुर के राजेश दिल्ली  में नौकरी करते हैं। राजेश के पिता पूर्व राजस्व निरीक्षक श्रीनाथ विश्वकर्मा का 18 अप्रैल को निधन हो गया। पिता के निधन पर राजेश ने दिल्ली से गोरखपुर आने के लिए पास का आवेदन किया, लेकिन उसे नामंजूर कर दिया गया। राजेश ने दोबारा आवेदन किया और बताया कि वह इकलौता पुत्र है, बावजूद पास जारी नहीं हो सका। ऐसे में राजेश ने गोरखपुर जिला प्रशासन से गुहार लगाई। प्रशासन ने राजेश के प्रार्थना पत्र पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए राजेश के घरवालों को एक वाहन दिल्ली ले जाने और वहां से राजेश को गोरखपुर लाने की अनुमति दे दी। साथ ही निर्देश दिया कि वह अंत्येष्टि में भी पूरी तरह से लॉकडाउन और फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करें।