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किया था सोनिया गांधी का ब्रेन स्कैन, कभी एम्स में काम कर चुका है ये एक्टर

भोपाल.फिल्म एवं टेलीविजन इंस्टिट्यूट (एफटीआईआई) के चेयरमैन गजेंद्र चौहान सीटी स्कैन एक्सपर्ट भी रहे हैं और दिल्ली के एम्स में नौकरी भी की है। उस दौरान उन्होंने सोनिया गांधी का सीटी स्कैन किया था। एफटीआईआई विवाद पर खुलकर की बात…
– माखनलाल चतुर्वेदी नेशनल जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन के न्यू सेशन के शुरुआत में शामिल होने गजेंद्र चौहान मंगलवार को भोपाल पहुंचे।
– इस दौरान उन्होंने विवाद और एफटीआईआई को लेकर अपने विजन पर खुलकर बातचीत की।
– गजेंद्र चौहान ने कहा “मैं तीन महानुभावों से प्रश्न पूछता हूं कि एफटीआईआई के हिमायती बनने वाले राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव आज कहां हैं?
– आज एफटीआईआई के स्टूडेंट्स की भलाई, एकेडमिक अपग्रेड करने की वो बातें कहां गईं। मैं तो आज भी वहीं हूं तमाम विरोधों के बावजूद। क्योंकि मैं मूल्यों के साथ खड़ा हूं। अपने आप को प्रूफ कर रहा हूं।’
– आगे उन्होंने कहा, “एजुकेशन इंस्टीट्यूट को पॉलिटिक्स से दूर रखना चाहिए। कुछ लोगों ने स्टूडेंट्स को मोहरा बनाकर वर्तमान सरकार को टारगेट करने का प्रयास किया। उन्हें भड़काया, उकसाया गया। देश में सरकार अच्छा काम कर रही हैं और अपोजिशन के पास उनकी कमजोरी निकालने का कोई मुद्दा नहीं है।
सोनिया गांधी का किया था सीटी स्कैन
– गजेंद्र चौहान ने बताया कि मैंने एम्स से पैरामेडिकल का कोर्स करके वहीं सीटी स्कैन डिपार्टमेंट में जॉब ज्वाइन की थी और सीटी स्कैन एक्सपर्ट था।
– 1980 में रूम नंबर 52 में मैंने सोनिया गांधी का सीटी स्कैन किया था। तब उनके साथ राजीव गांधी भी आए थे।
पहले मुझे मिला था कृष्ण का रोल
– गजेंद्र ने बताया कि मुझे मशहूर टीवी सीरियल महाभारत में पहले कृष्ण का रोल मिला था। उस वक्त जूही चावला “द्रोपदी’, गोविंदा “अभिमन्यु’ और नीतिश भारद्वाज “विदुर’ का किरदार करने वाले थे।
– बाद में कास्टिंग चेंज हुई और मुझे युधिष्ठिर का रोल मिला। यह लाइफ का माइल स्टोन बन गया।’
अपने हित साधने लोगों ने “कच्ची मिट्टी’ का इस्तेमाल किया
– गजेंद्र ने बताया कि स्टूडेंट्स कच्ची मिट्टी के घड़े की तरह होते हैं। तब उन्होंने कच्ची मिट्टी यानी स्टूडेंट्स को फंसाने का प्रयास किया। वे जेएनयू, हैदराबाद पहुंच गए।
– यहां उन्हें लगा कि स्टूडेंट्स को उकसाया जा सकता है। जब मेरे खिलाफ चौतरफा विरोध हुआ। तब भी मैंने स्टूडेंट्स के बारे में कुछ नहीं कहा। न कहूंगा।
– मुझे पता है कि उनका दोष नहीं है। इसके पीछे ऐसे लोगों का हाथ है, जो देश में शांति, एकता या क्रिएटिविटी नहीं चाहते।’
पिता से सीखकर बेटे को दिया पॉजिटिविटी का मंत्र
– गजेंद्र ने बताया कि मैं बहुत पॉजीटिव हूं। यह पॉजिटिविटी मैंने अपने पिताजी से सीखी। जो 32 रुपए कमाते थे। हम 8 भाई बहन थे।
– स्ट्रगल के दिनों में न वे निराश हुए न कभी गुस्सा। वहीं गुण मैंने उनसे सीखा। समय से बड़ा कुछ नहीं।
– यहीं गुण मेरे बेटे में आया। मेरा बेटा मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। मैं उसके बचपन से लेकर हर एग्जाम में छोड़ने गया और हॉल के बाहर एग्जाम खत्म होने तक रुका।
इंस्टीट्यूट को एक्सीलेंस बनाने की कोशिश में हूं
– गजेंद्र ने बताया कि मैं कहीं पद मांगने नहीं गया था। मुझे यह आदेश हुआ। मैं अपने कार्यकाल तक इंस्टीट्यूट को एकेडमिक लेवल पर सबके सपोर्ट से एक्सीलेंस बनाने की कोशिश करूंगा।
– 1 अगस्त, 2016 से कोर्सेस टाइम बाउंड किए हैं। सेमेस्टर सिस्टम लागू कर दिया है। टूवे सिस्टम लॉन्च किया है।
– स्टूडेंट्स टीचर्स की रिपोर्ट और टीचर्स स्टूडेंट्स की रिपोर्ट हर महीने देंगे। हॉस्टल से भी स्टूडेंट्स को रात में अगर वह कहीं क्रिएटिविटी, फिल्म या प्रोडक्शन में इन्वाल्व होना है, तो उन्हें जाने की छूट रहेगी।
– क्रिएटिविटी और विचार का कोई समय नहीं होता। अगर वह कुछ गलत करेगा, तो उसके लिए देश का कानून है।