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इस पौधे की खेती से किसान बन रहे मालामाल

नई दिल्ली: भारतीय किसान अब मुनाफा देने वाली नकदी फसलों की खेती की तरफ ध्यान दे रहे हैं. इसमें औषधीय पौधा आज के समय में विकल्प बन कर उभरा है. कुछ ऐसे मेडिसिनल प्लांट्स हैं, जिनका उत्पादन सबसे अधिक भारत में होता है, और किसानों से खरीद कर कई देशों में निर्यात किया जा रहा है. इसी में इसबगोल भी इसी तरह का पौधा है. इसके कुल उत्पादन का 80 फीसदी हिस्सा भारत में पैदा होता है.

औषधीय फसलों के निर्यात में इसबगोल का पहला स्थान है. हमारे देश से हर साल 120 करोड़ रुपयों का इसबगोल निर्यात हो रहा है. विश्व में इसके प्रमुख उत्पादक देश ईरान, इराक, अरब अमीरात, भारत और फिलीपींस है. हमारे देश में गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के किसान इसबगोल की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं.

इसबगोल की खेती अक्टूबर-नवंबर के महीने में की जाती है और फसल मार्च के महीने तक तैयार हो जाती है. इसके पौधे धीरे-धीरे बढ़ते हैं और हाथ से ही इसकी निराई-गुड़ाई का काम करने की सलाह दी जाती है. एक बीघे में 4 क्विंटल पैदावार होती है. फिलहाल एक क्विंटल का रेट 10 हजार रुपये है.

इसके अलावा सर्दियों में इसबगोल के दाम बढ़ जाते हैं, जिससे आमदनी और ज्यादा हो जाती है. अगर इसबगोल के बीजों को प्रोसेस कराया जाए तो और ज्यादा फायदा होता है. प्रोसेस होने के बाद इसबगोल के बीजों में से लगभग 30 प्रतिशत भूसी निकलती है और इसी को इसबगोल का सबसे महंगा हिस्सा माना जाता है.

इसबोगल की भूसी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं और यह सेहत के लिए काफी गुणकारी है. इसबगोल में फाइबर की मात्रा काफी अधिक होती है. फैट और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा इसमें बिल्कुल भी नहीं होती है. इसबगोल का सेवन हर उम्र के लोग कर सकते हैं.