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जब नाचते-( dancing)-नाचते दम तोड़ने लगे थे लोग

नई दिल्ली. ईरान (Iran) में कुछ ऐसा हो रहा है जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है. रहस्यमयी तरीके से बच्चियां बीमार होकर अस्पताल पहुंच रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तेहरान समेत कुछ बड़े शहरों से लगातार ऐसे कई वायरल वीडियो सामने आ रहे हैं जिसमें छात्राएं बीमार हो रही हॉस्पिटल पहुंच रही हैं. हालांकि इस मामले को लेकर कई तरह की थ्योरीज सामने आ रही हैं. कुछ रिपोर्ट्स इसे साजिश बता रहे हैं तो कोई इसे मास हिस्टीरिया कह रहा है. हालांकि बीते कुछ सालों में मास हिस्टीरिया के कई केस सामने आ चुके हैं. लेकिन कुछ 100 साल पहले एक अजीबो-गरीब किस्म के म ने यूरोप को जकड़ लिया था. इस बीमारी में लोग नाचचे-( dancing) नाचते अचानक सड़कों पर दम तोड़नेलगे थे. इसे ‘डांसिंग मेनिया का नाम दिया गया था.

ईरान में पिछले साल दिसंबर में महसा नाम की एक युवती की मौत हो गई थी. इसके बाद देशभर में जमकर प्रदर्शन किए गए थे. ईरान के महिला ड्रेस कोड के खिलाफ इस युवती ने अपने बाल कटवा दिए थे और हिजाब उतार दिया था. कुछ वक्त बाद तेहरान में उसे गिरफ्तार कर लिया गया. फिर आरोप लगा कि पुलिस की प्रताड़ना से उसकी मौत हो गई. तब से वहां ड्रेस कोड को लेकर प्रदर्शन जारी है. अब इस बीच छात्राओं को जहर देने की खबर सामने आई है.

कई स्कूल छात्राओं को जहर देने का आरोप
हाल के महीनों में सैकड़ों स्कूली छात्राओं को जहर दिए जाने की रिपोर्ट सामने आने के बाद ईरान में चिंता बढ़ गई है. सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक ईरान के मेहर न्यूज ने बताया कि संसद के सदस्य शहरयार हैदरी ने एक सोर्स का हवाला देते हुए कहा कि अब तक देश भर के लगभग 900 छात्राओं को जहर दिया जा चुका है. ईरानी के स्थानीय मीडिया के मुताबिक पहली बार जहर देने की घटना कोम शहर में 30 नवंबर को सामने आई, जब एक हाई स्कूल की 18 स्कूली छात्राओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 14 फरवरी को कोम में एक अन्य घटना में 13 स्कूलों के 100 से अधिक छात्रओं को अस्पतालों लाया गया, जिसके बाद स्थानीय मीडिया इसे ‘सीरियल पॉइजनिंग’ कहने लगा.
यूरोप के कई शहरों में हुई थी बड़ी घटना
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 1374 में यूरोप में हंगामा हो गया था. फ्रांस, जर्मनी, बेल्जिमय जैसे शहरों में लोग धीरे-धीरे घरों और दफ्तरों से बाहर निकलकर सड़कों पर जमा होने लगे. फिर किसी हिस्टीरिया के मरीज की तरह झूमने लगे. इस दौरान कोई म्यूजिक नहीं बजता था. इस दौरान भीड़ कम होने के बजाय बढ़ती जाती थी. लोग बिना खाए-पिए डांस करते थे. हालत ऐसी थी कि कई लोग बेहोश होकर गिरने लग गए, लेकिन डांस नहीं रुका. फिर ये डांसिंग प्लेग से जैसे शुरू हुआ वैसे ही अचानक बंद हो गया. किसी को इसके पीछे की असली वजह पता नहीं चली. उस दौरान प्लेग काफी बुरी तरह फैला था. लोगों इस बीमारी को डांसिंग प्लेग करने लगे. इस रहस्यमी बीमारी का ऐसा डर था कि कई देशों ने पनी सीमाओं पर दूसरे देशों से लोगों के आने-जाने पर रोक लगा दी थी.
ननों में भी फैली थी अजीब बीमारी
रिपोर्ट्स की मानें को 15वीं सदी में जर्मनी में कई नन अचानक गुस्सैल हो गई. वो बिल्ली की आवाज निकालती थी, एक दूसरे को काटती-नोंचती थी. कुछ ऐसा ही मामला रोम और हॉलैंड में भी सामने आया था. हालात इतने बिगड़ गए थे कि ननों को काबू करने आर्मी बुलानी पड़ी. इस घटना का जिक्र जेएफ हैकर ने अपनी किताब ‘एपिडेमिक्स ऑफ मिडिल एजेस’ में भी किया है.