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(Tiger)
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टाइगर(Tiger) टी-136 को मिला नया आशियाना

सवाई माधोपुर. रणथंभौर से ढाई महीन पहले निकला टाइगर (Tiger) टी-136 आखिरकार अपनी राह पर पहुंच ही गया. इधर-उधर भटकने के बाद रणथंभौर से यह टाइगर करौली के कैलादेवी अभयारण्य पहुंच गया है. अब टाइगर ने कैलादेवी अभयारण्य को अपना नया आशियाना बनाया है. फिलहाल टी-136 का मूवमेंट वर्तमान कैलादेवी वन क्षेत्र और खोरी नाका वन क्षेत्र के बीच में बना हुआ है. वन विभाग की ओर से बाघ की लगातार ट्रेकिंग और मॉनिटरिंग कराई जा रही है.

वन अधिकारियों ने बताया कि 23 अक्टूबर को बाघ टी-136 करौली के कैलादेवी अभयारण्य के खोरी नाका वन क्षेत्र में लगे फोटो ट्रैप कैमरों में कैद हुआ था, तभी से लगातार टाइगर का मूवमेंट इसी इलाके के आसपास बना हुआ है. वन अधिकारियों के अनुसार क्षेत्र में पानी व शिकार के पर्याप्त प्रबंध होने के कारण टाइगर को यह इलाका रास आ रहा है.
रणथंभौर में क्षमता से अधिक टाइगर-टाइगर होने के कारण टेरेटरी की तलाश में अगस्त माह में दो युवा बाघ रणथंभौर से निकल गए थे. इनमें से एक टाइगर टी-132 तो पहले ही करौली के कैलादेवी अभयारण्य में पहुंच गया था. जबकि बाघ टी-136 पूर्व में गंगापुर सिटी के लालपुर उमरी वन क्षेत्र में पहुंच गया था. यहां पर इस बाघ का मूवमेंट काफी दिनों तक रहा था. वन विभाग की टीमों ने लगातार बाघ की मॉनिटरिंग व ट्रेकिंग करने के प्रयास किए थे, लेकिन बारिश के कारण बाघ का मूवमेंट ट्रेस नहीं हो पा रहा था. यहां पर टाइगर ने एक भैंस का शिकार भी किया था.
यह बाघ कुंडेरा रेंज के बसव के खेतों में होकर बनास नदी पार कर हाड़ौती के जंगल मे पहुंचा था. हाड़ौती से यह जीरोता, भड़गपुरा, भरतून की पहाड़ी होते हुए लालपुर उमरी की पहाड़ी में पहुंचा था. काफी दिनों तक लालपुर उमरी में भटकने के बाद टाइगर ने एक बार फिर से जीरोता की राह पकड़ ली थी. इसके बाद जीरोता से बनास नदी को पार करते हुए सपोटरा होते हुए करौली के कैलादेवी अभयारण्य पहुंच गया. इससे पहले टाइगर-टाइग्रेस टेरेटरी की तलाश में रणथंभौर से निकलकर करौली के कैलादेवी अभयारण्य में पहुंच चुके हैं. इनमें बाघ टी-80 यानी तूफान, बाघ टी-47 यानी मोहन, बाघ टी-72 यानी सुल्तान, बाघिन टी-92, टी-118 आदि शामिल हैं. वन विभाग के अनुसार, कैलादेवी अभ्यारण्य में वर्तमान में आठ से अधिक बाघ-बाघिनों का मूवमेंट बना हुआ है. हालांकि पूर्व में कैलादेवी अभयारण्य में गए कई बाघ-बाघिन कुछ दिन वहां रुकने के बाद वापस रणथम्भौर लौट आए थे.
वन अधिकारियों ने बताया कि बाघ टी-136 रणथंभौर की बाघिन टी-102 का शावक है. इसकी उम्र करीब डेढ़ साल है. पूर्व में 16 जुलाई को वन विभाग ने रणथंभौर के आमाघाटी वन क्षेत्र से बाघिन टी-102 को बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में शिफ्ट कर दिया था. इसके कुछ दिनों बाद बाघ टी-136 भी इलाके की तलाश में रणथंभौर से निकल गया था

6 साल के लंबे इंतजार के बाद उदयपुर से अहमदाबाद के बीच ट्रेन का सफर आसान हो गया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में असारवा-हिम्मतनगर-उदयपुर ब्रॉड गेज रेल लाइन का शुभारंभ किया. 2482.38 करोड़ रुपये की लागत से बना यह ब्रॉडगेज ट्रैक करीब 290 किमी लंबा है. फिलहाल इस पर रूट पर उदयपुर-असारवा और असारवा-उदयपुर के बीच एक-एक ट्रेन चल रही है. जल्द ही जयपुर-अहमदाबाद के बीच भी ट्रेन शुरू होने की संभावना है. अब उदयपुर-असारवा के बीच का सफर 6 घंटे में पूरा हो रहा है. इस रूट का सस्ता किराया, कम समय और प्रकृति का रोमांच यात्रियों को खूब आकर्षित कर रहा है.

अहमदाबाद-हिम्मतनगर- उदयपुर ब्रॉड गेज लाइन शुरू हो जाने से अहमदाबाद-दिल्ली के लिए एक वैकल्पिक रूट मिल गया है. इतना ही नहीं, इस लाइन के शुरू होने से कच्छ और राजस्थान के पर्यटन स्थल उदयपुर, चित्तौड़गढ़ एवं नाथद्वारा में पर्यटन को बढ़ावा मिलना तय है. हिम्मतनगर की टाइल इंडस्ट्री को लाभ मिलेगा. इस रूट के चलते गुजरात के आदिवासी क्षेत्र और दक्षिण राजस्थान के आर्थिक-सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को बल मिलेगा.

अहमदाबाद (असरवा)-हिम्‍मतनगर -उदयपुर ब्रॉडगेज लाइन 22 क्रॉसिंग और 15 हॉल्ट स्टेशन हैं. इस लाइन पर 3 बड़े ब्रिज, 29 छोटे ब्रिज और 25 रोड अंडर ब्रिज बनाए गए हैं. 750 मी. की 1 सुरंग भी है. इस ट्रैक पर नदी-झरने, पहाड़ और जंगल यात्रा को रोमांचकारी बना देते हैं. इस सफर का सबसे ऊंचा पुल है ओडा. पुल के नीचे बहती नदी और पहाड़-जंगल आपको जम्मू-कश्मीर की वादियों का अहसास कराते हैं. उदयपुर-गुजरात के बीच सीधी रेल सेवा शुरू होने के बाद अब इसी रूट से जयपुर-कोटा के लिए भी ट्रेनें चलेंगी.
उदयपुर-हिम्‍मतनगर-अहमदाबाद (असरवा) लाइन पर इलेक्ट्रिफिकेशन का काम भी जारी है. इसके अगले छह माह में पूरा होने की उम्मीद है. उदयपुर से 50 किलोमीटर तक इस लाइन पर बहुत ही मनमोहक दृश्य हैं. उदयपुर, डुंगरपुर, शामलाजी रोड, हिम्मतनगर, अहमदाबाद, नांदोल दहेगाम और प्रांतिज महत्वपूर्ण स्टेशनों में शुमार हैं. गुजरात के लाखों लोगों को राहत मिल गई है जो एक बड़े क्षेत्र में ब्रॉड गेज लाइन ना होने की वजह से परेशान थे.

फिलहाल इस रूट पर असरवा-उदयपुर एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 19704) और उदयपुर-असरवा एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 19703) चल रही है. यह ट्रेन असरवा से उदयपुर के लिए सुबह साढ़े 6 बजे रवाना होती है. 6 घंटे के सफर के बाद दिन में साढ़े 12 बजे उदयपुर पहुंचती है. वापसी में उदयपुर-असरवा एक्सप्रेस उदयपुर से शाम 5 बजे रवाना होती है और रात 11 बजे असरवा पहुंचती है. IRCTC पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, स्लीपर का किराया 205 रुपये, एसी चेयर कार का किराया 445 रुपये और थर्ड एसी का किराया प्रति यात्री 505 रुपये है.
उदयपुर-हिम्‍मतनगर-अहमदाबाद (असरवा) ट्रेन रूट के शुरू हो जाने से दक्षिण राजस्थान के 6 जिलों उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, राजसमंद और चित्तौड़गढ़ के लोगों को फायदा हो रहा है. जयपुर-अहमदाबाद के बीच एक वैकल्पिक रूट खुल गया है. जयपुर-अहमदाबाद के बीच उदयपुर-असरवा के रास्ते जल्द ही सुपरफास्ट ट्रेन शुरू होने वाली है. फिलहाल ट्रेन यात्री जयपुर से अहमदाबाद का सफर अजमेर, ब्यावर, मारवाड़, आबूरोड होते हुए करते हैं.