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तेजस फाइटर जेट की दुनिया (world)हुई कायल

ब्यूनो आयर्सः भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर 22 से 26 अगस्त तक के लिए 4 दिवसीय लैटिन अमेरिका के दौरे पर थे. इस दौरान वह अर्जेंटीना भी गए. विदेश मंत्री जयशंकर ने अर्जेंटीना की वायु सेना के लिए भारत में निर्मित तेजस लड़ाकू विमान में उसकी रुचि को स्वीकार करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को नई उंचाई पर ले जाएगा. भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि दोनों पक्ष सशस्त्र बलों, रक्षा प्रशिक्षण और रक्षा संबंधी उपकरणों के संयुक्त उत्पादन के लिए सहयोग के बीच यात्राओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर सहमत हुए.

भारत का तेजस री दुनिया (world) में धूम मचा रहा है. डिफेंस इक्विपमेंट का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर अमेरिका भी भारत में विकसित इस लड़ाकू विमान में दिलचस्पी दिखा रहा है. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और फिलीपीन समेत 6 देशों ने भारत के हल्के लड़ाकू विमान तेजस में रुचि दिखाई है. वहीं मलेशिया पहले ही इस विमान को खरीदने की तैयारी में है. भारत ने मलेशिया को 18 तेजस बेचने की पेशकश की है. अब इसमें अर्जेंटीना का नाम भी जुड़ गया है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित तेजस एक इंजन वाला बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है जिसकी क्षमता अत्यधिक खतरे वाले माहौल में परिचालन की है.

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने संसद के बीते मानसून सत्र के दौरान एक प्रश्न के लिखित उत्तर में लोकसभा को यह जानकारी दी थी कि तेजस विमान में दिलचस्पी दिखाने वाले अन्य 2 देश अर्जेंटीना और मिस्र हैं. रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए 83 तेजस (Light Combat Aircraft) खरीदने के वास्ते पिछले साल फरवरी में एचएएल (HAL) के साथ 48,000 करोड़ रुपये का करार किया था. एचएएल को इन विमानों की 2023 से डिलीवरी शुरू करनी है. मलेशिया अपने पुराने रूसी मिग-29 लड़ाकू विमानों को बदलने के लिए तेजस विमान खरीदने का इच्छुक है. रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा था, ‘एलसीए तेजस विमान में रुचि दिखाने वाले अन्य देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, अमेरिका, इंडोनेशिया और फिलीपींस शामिल हैं.’

18 सालों की कड़ी मेहनत के बाद 2001 में तेजस ने भरी थी पहली उड़ान
इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में हलके फाइटर विमान यानी LCA को शामिल करने की तैयारी 1983 में ही शुरू हो गई थी. सरकार की हरी झंडी मिलते ही HAL साइंटिस्ट अपने मिशन को अंजाम देने में दिन-रात लग गए थे. इसका वक्त LCA का सिर्फ दो मकसद था- पहला: रूसी फाइटर MiG-21 के विकल्प में नया फाइटर जेट तैयार करना. दूसरा: स्वदेशी और हलके फाइटर जेट को बनाना. करीब 18 सालों की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार जनवरी, 2001 में पहली बार इस स्वदेशी फाइटर जेट ने हिंदुस्तान के आसमान में उड़ान भरी थी. अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे ‘तेजस’ दिया था, जिसका मतलब ‘चमक’ है.

अपनी 4 खूबियों की वजह से बाकी फाइटर जेट अलग है भारत का तेजस
इस वक्त भारतीय वायु सेना के बेड़े में जो टॉप फाइटर जेट हैं, उनमें सुखोई Su-30MKI, राफेल, मिराज, MiG-29 और तेजस का नाम शामिल है. तेजस अपनी कुछ खूबियों की वजह से बाकी चारों फाइटर जेट से अलग और खास है. पहला: इस विमान के 50% कलपुर्जे यानी मशीनरी भारत में ही तैयार हुई है. दूसरा: इस विमान में मॉडर्न टेक्नोलॉजी के तहत इजराइल की EL/M-2052 रडार को लगाया गया है. इस वजह से तेजस एक साथ 10 लक्ष्यों को ट्रैक कर उन पर निशाना साधने में सक्षम है. तीसरा: बेहद कम जगह यानी 460 मीटर के रनवे पर टेकऑफ करने की क्षमता. चौथा: यह फाइटर जेट इन चारों में ही सबसे ज्यादा हल्का यानी सिर्फ 6500 किलो का है.