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akhilesh yadaw
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सपा को हौसलामंद रखने की चुनौती, मैनपुरी व रामपुर के लिए नए सिरे से बनानी होगी रणनीति !

विधानसभा उपचुनावों में सपा लगातार शिकस्त खा रही है। विधानसभा में धमाकेदार उपस्थिति बरकरार रखने के लिए पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ और आजम खां ने रामपुर से इस्तीफा दिया। उपचुनाव में यह दोनों सीटें सपा के हाथ से निकल गईं। गोला गोकर्णनाथ विधानसभा उपचुनाव में हार का सामना करने के बाद समाजवादी पार्टी की चुनौती बढ़ गई है। उसे मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए अपनी रणनीति में बदलाव कर कार्यकर्ताओं को हौसलामंद रखना होगा। क्योंकि मैनपुरी अभी तक उसका सबसे मजबूत किला है।

पार्टी के ज्यादातर वरिष्ठ नेता यह दुहाई दे रहे

विधानसभा उपचुनावों में सपा लगातार शिकस्त खा रही है। विधानसभा में धमाकेदार उपस्थिति बरकरार रखने के लिए पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ और आजम खां ने रामपुर से इस्तीफा दिया। उपचुनाव में यह दोनों सीटें सपा के हाथ से निकल गईं। निश्चित तौर पर गोला विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा का पहले से कब्जा था,

लेकिन यहां से सपा के हारने का असर सीधे मैनपुरी लोकसभा और रामपुर विधानसभा उपचुनाव पर पड़ेगा। पार्टी के ज्यादातर वरिष्ठ नेता यह दुहाई दे रहे हैं कि भाजपा ने छलबल से गोला सीट जीत ली है। यहां सपा को 90 हजार से अधिक मत मिले हैं, लेकिन निरंतर मिल रही हार से पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला टूटना स्वाभाविक है। ऐसे में राष्ट्रीय नेतृत्व को लगातार उपचुनावों में भी कमान संभालनी पड़ेगी।

अभी तक का इतिहास यही रहा है कि वह उपचुनावों से पूरी तरह से दूर है, लेकिन हार मिले या जीत, दोनों में सेनापति के तौर पर मैदान में डटकर सामना करना पड़ेगा। क्योंकि उपचुनाव से दूरी यह संदेश दे रही है कि किसी न किसी रूप में पार्टी ने हथियार डाल दिए हैं। यदि शीर्ष नेतृत्व ने मैदान में उतर कर सेनापति की भूमिका निभाई तो मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद शोक संतप्त मैनपुरी में सहानुभूति की लहर सपा के पक्ष में जाना तय है।

तय नहीं हो सका उम्मीदवार

अखिलेश यादव शनिवार शाम से रविवार तक सैफई में रहे। इस दौरान परिवार के लोगों से बातचीत हुई। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र के अलग-अलग लोगों से मुलाकात की और तैयारी में जुटने का आह्वान किया। लेकिन अभी प्रत्याशी पर फैसला नहीं हो सका है। परिवार से जुड़े ज्यादातर लोग तेज प्रताप यादव के नाम पर सहमत भी बताए जा रहे हैं, पर नाम की घोषणा से पहले शिवपाल सिंह यादव को भी मनाना बड़ा काम है।