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( Taliban)
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तालिबान ( Taliban)का विरोध नहीं करने के लिए ली करोड़ों की रिश्वत

काबुल. कतर ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति रहे अशरफ गनी को रिश्वत के रूप में $110 मिलियन से अधिक का भुगतान किया था, ताकि वह तालिबान ( Taliban) के खिलाफ विरोध न करें. अजमल अहमदी द्वारा हस्ताक्षरित रसीद का दस्तावेज शामिल है, जो उस समय गनी के विशेष दूत और सेंट्रल बैंक ऑफ अफगानिस्तान के प्रमुख थे.

15 अगस्त, 2021 को तालिबान के अफगान राजधानी में प्रवेश करने के बाद पूर्व राष्ट्रपति काबुल से भाग गए थे और अब संयुक्त अरब अमीरात में निर्वासन में रह रहे हैं. उनके जाने से तालिबान के लिए राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने का मार्ग प्रशस्त हो गया था. गनी ने बाद में अफगान नागरिकों से माफी मांगते हुए कहा कि उन्हें रक्तपात से बचने के लिए भागना पड़ा.

राजनीतिक समझौते तक पहुंचने से पहले भागने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी भारी आलोचना की गई. हालांकि, वह अभी भी खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति मानते हैं. अपनी सरकार गिरने से पहले, गनी ने दावा किया था कि वह मृत्यु तक तालिबान के खिलाफ खड़े रहेंगे.

उन्होंने कहा कि जब काबुल का पतन हुआ था, तब उनके पास कोई कार्यकारी शक्ति नहीं थी. गनी ने पिछले साल अगस्त में एक मीडिया संस्थान से बातचीत में कहा था कि वह देश ‘छोड़ने वाले अंतिम व्यक्ति’ थे और उन्होंने ‘डॉ. नजीब के कड़वे अनुभव’ को दोहराने से बचने के लिए ऐसा किया. वह अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नजीबुल्लाह का जिक्र कर रहे थे, जिन्हें 1996 में तालिबान ने तब मारा था, जब उन्होंने पहली बार काबुल पर कब्जा किया था.

उन्होंने कहा कि देश के पूर्व रक्षा मंत्री उनके सामने से भाग गए और काबुल में अमेरिकी दूतावास ने पहले ही अपने कर्मचारियों और अफगान अभिजात्य बलों को निकालना शुरू कर दिया था. गनी ने बताया था कि उनके खुफिया प्रमुख ने उनसे कहा था कि उस समय अफगान सेनाएं लड़ने में असमर्थ थीं.
दरअसल, अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस बुलाने का काम साल 2021 में 31 अगस्त तक पूरा कर लिया था और इस तरह उस देश में 20 साल की उसकी सैन्य उपस्थिति समाप्त हुई थी. उसके तुरंत बाद ही उसी साल काबुल में तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो गया था और तब गनी देश छोड़कर भाग गये थे.