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पुलिस अधीक्षक द्वारा कराई गई पंद्रह बिंदुओं पर जांच,मानसिक दबाव के चलते पारिवारिक सदस्य के आंखो की रोशनी तक चली गई

फतेहपुर – थाना बकेवर में दिए गए तहरीरी सूचना पर जिसमे प्रमुख रूप से भतीजे इंद्र कुमार उर्फ शीलू को छत पर बने कमरे में अज्ञात लोगों द्वारा गोली मारकर की गई हत्या संबंध में आरोप अंकित कराए गए थे। जिसके आधार पर थाना बकेवर में धारा 302 के तहत अज्ञात में मुकदमा पंजीकृत किया गया था।
जिसपर पुलिस अधीक्षक द्वारा कई बिंदुओं पर बारीकी से देखने के बाद जब उन्हें शक हु़वा तो कानपुर से एक वैज्ञानिक टीम बुलाकर साक्ष्यों को खंगालने शुरू किए गए। जिसमे ये पाया गया की मामला हत्या का नही बल्कि मृतक द्वारा स्वयं के हांथ से फायर होना पाया गया।

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इस दौरान द्वेष वश कई निर्दोषों को फसाने की कोशिश की गई लेकिन पुलिस अधीक्षक के कुशल नेतृत्व, कर्तव्य के प्रति निष्ठापूर्वक, ईमानदारी के चलते निर्दोष फसने से बच ही नहीं गए बल्कि एक परिवार सुरक्षित कर इंसानियत को जिंदा रखा जा सका।जो की जिले की तवारीख पर उदय शंकर सिंह का नाम सदैव याद रखा जायेगा।*यदि हम इस घटना के खुलासे को जोड़ते हुए गुजरे साल 2019, 2020 और 2021 की काली तरीकों पर जाते तो विधायक वा माननीय मंत्री के खेमे में शामिल अवसर वादी कार्यकर्ताओं के पास किसी भी भूमि पर कब्जा कर लेना कितना आसान होता रहा। जिसमे मुख्यता, नेशनल हाइवे, कृषि भवन के सामने, रामगंज पक्का तलाब, शेषपुर उनवा भिठोरा रोड, छिवलहा, हुसैनगंज जैसी भूमि पर कब्जा करने हेतु फर्जी मुकदमे दर्ज करा ले जाना तो आम बात थी। पहले अवैध कब्जा, फिर धमकी, अगर फिर बात न बनी तो अपने ही घर में पोषण पा रहे किसी हरिजन से फर्जी एससीएसटी, 302 जैसी धाराओं का बन जाना तो पक्का हो जाया करता था। फिर होता था तोड़पानी। “तुम प्लॉट छोड़ो हम मुकदमा हटा ले” जैसा स्लोगन हिटफिर वही प्लॉट बड़ी कीमतों में छह महीना के अंतराल में बेंच कर बड़ी बड़ी रक्मे हासिल कर फकीरी से अमीरी तक का सफर तय कर ले जाना आम बात थी।
यदि इसी बीच पीड़ित न्याय के लिए अधिकारियों की चौखट पर गया तो यही अवसर वादी प्रपत्र न दिखा कर सत्ता से जुड़े नुमाइंदों से पैरवी करा लेना जैसी आम बात थी।
आज जिले की जनता जिनकी जीवन भर मेहनत की कमाई सत्ता से जुड़े मायावी खा गए हैं। वही पीड़ित हांथ मलते हुए थाना बकेवर के खुलासे को दोहराते हुए ये कहने पर मजबूर है की काश इस जिले में पहले उदय शंकर जैसे अधिकारी क्यू नही आए ?