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यूपी की जेलों में बढ़ेगी छानबीन, अतीक गैंग पर कड़ी निगरानी, गवाहों की सुरक्षा के लिए डीजीपी ने जारी किए निर्देश…

लखनऊ – उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड के बाद प्रदेश की अलग-अलग जेलों में बंद माफिया पूर्व सांसद अतीक अहमद गैंग के कई करीबी भी पुलिस की जांच की जद में आ गए हैं।बरेली जेल में बंद अतीक के भाई अशरफ की चौकसी बढ़ाए जाने के बाद अतीक गैंग के कुछ अन्य सक्रिय लोगों की जेलों में हुई मुलाकातों की छानबीन भी शुरू हुई है।जेलों में जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है।

उमेश पाल हत्याकांड इस के बाद पुलिस महानिदेशक डाॅ. देवेंद्र सिंह चौहान ने एक बार फिर गवाहों के सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है।डीजीपी ने साक्षी सुरक्षा योजना-2018 का कड़ाई से अनुपालन कराने का निर्देश दिया है।सभी जिलों में जिला व शस्त्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में डीएम, अभियोजन अधिकारी व एसपी की स्टैंडिंग कमेटी गठित हैं।उमेश पाल हत्याकांड मामले में जांच के दौरान एक के बाद एक नए तथ्य सामने आ रहे हैं।इसी कड़ी में बरेली जेल में बंद अशरफ से 11 फरवरी को मिलने वाले उसके करीबियों को लेकर भी जांच में पुलिस के कदम आगे बढ़ रहे हैं।

स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने माफिया अतीक गैंग के बीते दिनों जेल से बाहर आए कई सक्रिय लोगों की गतिविधियों की छानबीन भी तेज की है।उमेश पाल हत्याकांड की साजिश में कुछ अन्य अपराधियों के भी शामिल होने की आशंका है। इसे लेकर भी एसटीएफ जांच कर रही है।अलग-अलग जेलों में बंद कुछ कुख्यातों से बीते दिनों मिलने पहुंचे लोगों के बारे में भी जांच के कदम आगे बढ़ रहे हैं।

डीजीपी डीएस चौहान ने कहा कि सभी जिलों में विटनेस प्रोटेक्शन सेल के कर्मियों व कार्याें की नियमित समीक्षा की जाए। इसके साथ ही विशेषकर एमपी-एमएलए कोर्ट में विचाराधीन गंभीर अपराधों से जुड़े मुकदमों के गवाहों की सुरक्षा की समीक्षा का निर्देश दिया है। साक्षी सुरक्षा योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार किए जाने का निर्देश भी दिया है।डीजीपी ने जमीन संबंधी विवादों को लेकर भी विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। डीजीपी डीएस चौहान ने कहा कि भूमि संबंधी विवादों में पुलिस अनावश्यक हस्तक्षेप न करे। ऐसे प्रकरण थाने में आने पर स्थानीय कार्यपालक मजिस्ट्रेट व राजस्व विभाग के अधिकारियों को उसकी सूचना दी जाए।जिन भूमि विवादों में हिंसा अथवा विवाद की स्थिति हो, उन्हें चिह्नित कर भूमि विवाद रजिस्टर में दर्ज किया जाए। बीट स्तर पर इसका मूल्यांकन कराने के साथ ही निरोधात्मक कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाए।