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( Taliban )
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तालिबान ( Taliban )सुप्रीमो अखुंदजादा के तख्तापलट की तैयारी

काबुल. अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध का मामला अब तालीबानी ( Taliban ) सरकार के सर्वोच्च नेता मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है. तालिबान के वरिष्ठ पदाधिकारी अखुंदजादा को हटाने पर विचार कर रहे हैं. तालिबान सरकार से जुड़े शीर्ष सूत्रों ने कहा, महिलाओं की शिक्षा के मुद्दे पर बढ़ती हताशा से सरकार की एकता टूटने का खतरा है. पहले उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर या अमीर-उल-मोमिनीन को अखुंदजादा की जगह पर विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है.

पिछले साल महिलाओं की शिक्षा पर तालिबान ने लगाया था प्रतिबंध
एक उच्च-स्तरीय सूत्र ने कहा कि यह चर्चा अभी प्रारंभिक चरण में है. बता दें कि पिछले साल दिसंबर में विश्वविद्यालयों में महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाया गया था. इस फैसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तालिबानी सरकार का जमकर विरोध हुआ. आंतरिक (गृह) मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी और रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब कट्टरपंथियों द्वारा कार्रवाई के पक्ष में नहीं हैं और चाहते हैं कि सरकार पलट जाए.

प्रतिबंध हटाने को लेकर नहीं तैयार हो रहे हैं अखुंदजादा
हालांकि सर्वोच्च नेता अखुंदजादा के साथ उनकी बातचीत सफल नहीं हुई, क्योंकि अखुंदजादा इस बात पर जोर दे रहे हैं कि वह अंतरराष्ट्रीय दबाव में प्रतिबंध को वापस नहीं लेंगे. सूत्रों ने कहा कि हक्कानी और याकूब इस स्थिति को स्वीकार करने के पक्ष में नहीं हैं. उनका तर्क है कि अफगानिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन महत्वपूर्ण है. एक शीर्ष सूत्र ने कहा, ‘यह (अखुंदजादा का) कोई तार्किक कारण नहीं है.’

अखुंदजादा को हटाने की तैयारी
सूत्र ने बताया, ‘उच्च अधिकारी इसलिए एक समाधान के बारे में सोच रहे हैं और सर्वोच्च नेता को बदलने का विचार कर रहे हैं.’ मिडिल स्कूल से आगे की महिलाओं और लड़कियों के लिए शिक्षा के दरवाजे बंद कर दिए गए हैं और सार्वजनिक रूप से सभी महिलाओं को बुर्का में सिर से पैर तक खुद को ढंकना पड़ता है. हाल ही में, सरकार ने गैर-सरकारी संगठनों में काम करने वाली महिलाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया है जो गरीब देश में सहायता प्रदान करने में मदद करती हैं.

याकूब विदेशी शक्तियों के साथ तालमेल बैठाने का कर रहे हैं प्रयास
बता दें कि हक्कानी और याकूब (तालिबान के संस्थापक मुल्ला मुहम्मद उमर के बेटे), जो उदारवादी गुट का नेतृत्व करते हैं, प्रमुख विदेशी शक्तियों के साथ तालमेल का प्रयास कर रहे हैं. क्योंकि वे अफगानिस्तान की बिखरती अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. साथ में वे सुरक्षा बलों को नियंत्रित करते हैं और देश के बड़े हिस्से पर अपना दबदबा रखते हैं.