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(weapons)
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अमेरिकी हथियारों(weapons) का कश्मीर में इस्तेमाल कर रहे हैं आतंकी संगठन

श्रीनगर. अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना द्वारा छोड़े गए हथियार (weapons) का इस्तेमाल कई आतंकी संगठन कश्मीर में धाक जमाने के लिए कर रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इन हथियारों का इस्तेमाल खतरनाक मंसूबों के लिए किया जा सकता है. अमेरिकी समाचार पोर्टल एनबीसी ने जम्मू-कश्मीर में अधिकारियों के हवाले से बताया कि पाकिस्तान की शह पर कश्मीर में हिंसक वारदातों को अंजाम देने की कोशिश कर रहे आतंकवादियों के पास एम4, एम16 और अन्य अमेरिका निर्मित हथियार तथा गोला-बारूद मिले हैं, जो 30 साल के संघर्ष में शायद ही कभी देखे गए हैं.

साल 2021 में जब अमेरिकी सेना अफगानिस्तान से वापस गई तो पूरा देश तालिबान के कब्जे में आ गया और वहां छोड़े गए हथियारों का इस्तेमाल अब कई चरमपंथी कर रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि अब तक बरामद अधिकांश हथियार जैश-ए-मोहम्मद या लश्कर-ए-तैयबा के हैं, दोनों पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह हैं, जिन्हें अमेरिका आतंकवादी संगठनों के रूप में नामित कर चुका है.

जेईएम के आतंकियों के पास से बरामद हुई थी एम4 कार्बाइल असॉल्ट राइफल
उदाहरण के लिए पिछले साल एक ट्विटर पोस्ट में पुलिस ने कहा कि उन्होंने मुठभेड़ के बाद एक एम4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल जब्त की थी, जिसमें जेईएम के दो आतंकवादी मारे गए थे. कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में भारतीय सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल एमरॉन मुसावी ने कहा कि अमेरिकी वापसी से पहले तालिबान के साथ लड़ने या प्रशिक्षित करने के लिए दोनों समूहों के आतंकवादियों को अफगानिस्तान भेजा गया था.
7.1 बिलियन डॉलर का हथियार तालिबान के कब्जे में
उन्होंने कहा, ‘यह माना जा सकता है कि अमेरिकी सेना द्वारा छोड़े गए हथियारों तक आतंकी संगठनों की पहुंच है.’ वहीं अफगानिस्तान और पाकिस्तान के सरकारी अधिकारियों ने टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. पिछले अगस्त में प्रकाशित एक रक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी वित्त पोषित सैन्य उपकरणों में $7.1 बिलियन से अधिक अफगान सरकार के कब्जे में था, जब यह अगस्त 2021 में तालिबान के कब्जे में आ गया था. हालांकि इसमें से आधे से अधिक जमीनी वाहन थे, इसमें लगभग $512 मिलियन मूल्य के 316,000 से अधिक हथियार, साथ ही गोला-बारूद और अन्य सामान भी शामिल थे.