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(नौसेना )
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नौसेना को मिला खतरनाक जहाज(नौसेना )

‘संध्याक’ जहाज : भारतीय नौसेना  (नौसेना ) के लिए चार विशेष सर्वेक्षण पोत (जहाज) में से पहला जहाज ‘संध्याक’ (यार्ड 3025), 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना को सौंपा गया. यह पोत सर्वेक्षण के अलावा द्वितीयक भूमिका में, सेना को सीमित सुरक्षा प्रदान करेंगे और युद्ध व आपातकालीन स्थिति के दौरान अस्पताल के रूप में कार्य करता है.
‘संध्याक’ जहाज लगभग 3,400 टन के विस्थापन और 110 मीटर लंबा है. यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा सर्वेक्षण पोत है. अभी इस पोत का काम बंदरगाह या हार्बर तक पहुंचने वाले मार्गों का सम्पूर्ण तटीय और डीप-वॉटर हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करना है. साथ ही नौवहन चैनलों या मार्गों का निर्धारण करना है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इसके परिचालन क्षेत्र में ईईजेड , एक्‍सटेंडेड कॉन्टिनेंटल शेल्फ तक की समुद्री सीमाएं शामिल हैं. इस पोत का रक्षा और सिविलियन वर्क जैसे कि समुद्र विज्ञान और भूभौतिकीय डेटा भी एकत्रित करने के लिए किया जाएगा.
‘संध्याक’ अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक उपकरणों जैसे डेटा अधिग्रहण और प्रसंस्करण प्रणाली, स्वायत्त अंडरवाटर वाहन, रिमोट चालित वाहन, डीजीपीएस लॉन्ग रेंज पोजिशनिंग सिस्टम, डिजिटल साइड स्कैन सोनार से युक्त है. दो डीजल इंजनों द्वारा संचालित यह पोत 18 समुद्री मील से अधिक की गति से चल सकता है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस पोत के निर्माण की प्रक्रिया 12 मार्च 2019 को आरंभ हुई और इसे 5 दिसंबर 2021 को लॉन्च किया गया. यह पोत बंदरगाह और समुद्र में व्यापक परीक्षणों से गुजर चुका है. इसके पश्चात 4 दिसंबर 2023 को इसे भारतीय नौसेना को सौंपा गया. लागत की दृष्टि से संध्याक में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री है.
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि संध्याक की सुपुर्दगी भारत सरकार और भारतीय नौसेना द्वारा ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में दिए जा रहे प्रोत्साहन की पुष्टि है. संध्याक के निर्माण के दौरान कोविड और अन्य भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद, इसको शामिल किया जाना, हिंद महासागर क्षेत्र में राष्ट्र की समुद्री ताकत बढ़ाने की दिशा में बड़ी संख्या में हितधारकों, एमएसएमई और भारतीय उद्योग के सहयोगपूर्ण प्रयासों का परिणाम है