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(javelin throw)

मेरठ की बेटी ने खेतों में गन्ने फेंककर किया भाला फेंक का अभ्यास

मेरठ । बर्मिंघम, (javelin throw) राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को भाला फेंक में पदक दिलाने की उम्मीद बांधने वाली अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी अन्नू रानी मुश्किलों पर चलकर यहां तक पहुंची है। देश की दूसरी महिला जैवलिन थ्रोअर आज तक अन्नू के नेशनल रिकार्ड को चुनौती नहीं दे सकी हैं।

2014 से लगातार 2022 आज तक अन्नू भाला फेंकने में अपने ही रिकार्ड तोड़ती आ रही है। नीरज चोपड़ा के कॉमनवेल्थ गेम्स में न होने के बाद पूरा देश मेरठ की बेटी अन्नू की तरफ पदक (javelin throw) की आस से देख रहा है। 5 अगस्त को अन्नू बर्मिंघम में भारत का गौरव बढ़ाएंगी। मगर क्वीन ऑफ जैवलिन का खेलने का सफर आसान नहीं रहा।

बड़े भाई उपेंद्र भी 5,000 मीटर के धावक हैं और विश्वविद्यालय स्तर पर खेल चुके हैं। उपेंद्र ने अन्नू की खेल क्षमता पहचानकर उसे गुरुकुल प्रभात आश्रम पहुंचाया। रोजाना 20 किमी. साइकिल से आश्रम जाकर अन्नू अभ्यास करती। श्री गांधी स्मारक इंटर कॉलेज दबथुआ से 6 से 12वीं तक की पढ़ाई के बाद गांव के डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन किया।

कभी उधार के भाले को फेंककर तो कभी बांस और गन्ना फेंककर अन्नू के बाजूओं ने भाले का भार उठाना सीखा। लड़की होकर लड़कों के साथ खेलोगी ये ताने उनके कानों को हजार बार सहने पड़ी। मगर अन्नू के मजबूत इरादों के आगे दुश्वारियों का लोहा पिघल उठा। आज मेरठ में अन्नू के गांव बहादुरपुर में उनके मैच देखने की तैयारियां हो रही हैं, घर में सबको उम्मीद है कि अन्नू देश को पदक दिलाकर लौटेगी..