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भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जताई लैंसेट की रिपोर्ट पर आपत्ति

नई दिल्ली । भारत (lancet) के स्वास्थ्य मंत्रालय ने लैंसेट की रिपोर्ट पर आपत्ति (lancet) जताई है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने रिपोर्ट को भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया। जिसमें 47% से अधिक एंटीबायोटिक दवाओं को ड्रग्स कंट्रोलर ऑफ इंडिया (CDSCO) की अनुमति के बिना इस्तेमाल करने की बात कही गई थी।

मसले पर जानकारी के लिए उन्होंने मुझे सुबह 6 बजे फोन किया था। मैंने उन्हें बताया कि कुछ गलतफहमी हुई है, पिछले सालों की तुलना में देश की स्थिति सुधरी है।भारत भले ही एंटीबायोटिक दवाओं का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, लेकिन यहां एंटीबायोटिक दवाओं की प्रति व्यक्ति खपत दर कई देशों की तुलना में कम है।

इसके बाद सेफिक्साइम 200 मिलीग्राम टैबलेट दूसरा सबसे अधिक बिकने वाला फॉर्मूलेशन था। भारत में सिर्फ 10% फॉर्मूलेशन जरूरी दवाओं की सूची थे। साल 2019 में डीआईडी यानी प्रति 1000 निवासी प्रतिदिन परिभाषित दैनिक खुराक 10.4 थी। जबकि 2015 में यह दर 13.6 डीआईडी दर्ज की गई थी।

साल 2019 में एजिथ्रोमाइसिन 500 मिलीग्राम, भारत में सबसे ज्यादा खपत वाला एंटीबायोटिक रहा। यह एसेंशियल मेडिसिन लिस्ट यानी जरूरी दवाओं की सूची में शामिल है। एसेंशियल मेडिसिन की लिस्ट तैयार करने वाले वरिष्ठ फार्माकोलॉजिस्ट और नेशनल कमेटी ऑन मेडिसिन्स के उपाध्यक्ष प्रो. वाई के गुप्ता ने कहा कि लैंसेट ने रिपोर्ट में अस्वीकृत शब्द का इस्तेमाल करना ठीक नहीं है।