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(हत्‍या )
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अगर मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली ने नहीं की हत्‍या तो(हत्‍या )

नोएडा. ज्योति आज 27 साल की होती, शायद एक डॉक्टर होती, जो अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकालती. अपनी पीढ़ी में पहला बच्चा, मैक्स इस वर्ष 23 वर्ष का हो गया होता, और अपने विकलांग पिता और अशिक्षित माँ का भरण-पोषण कर रहा होता. ये दोनों निठारी कांड के पीड़ितों में से थे, जिनकी क्रमशः 10 और 5 साल की उम्र में हत्या कर दी गई थी. हालांकि परिवार इन बच्चों को अंतिम अलविदा भी नहीं कह सके, लेकिन उनके सामान ने उनकी पहचान में मदद की थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद से परिजन‍ निराश हैं और अब उन्‍हें उम्मीद है कि “अब भगवान उन्हें न्याय देंगे”. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को निठारी हत्याकांड(हत्‍या )  के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को दी गई मौत की सजा को रद्द कर दिया था.

‘ज्योति हमारे परिवार में सबसे होशियार थी, डॉक्टर बनना चाहती थी’
नोएडा के सेक्टर 31 में अपराध स्थल बंगला नंबर डी-5 के ठीक सामने 63 वर्षीय झब्बू लाल और उनकी पत्नी सुनीता देवी की एक छोटी सी दुकान थी, जहाँ वे 25 वर्षों से आजीविका के लिए कपड़े इस्त्री करते थे. उन्होंने अपनी 10 वर्षीय बेटी ज्योति को खो दिया था. तारीख थी 27 अप्रैल, 2006. उस समय स्कूल में गर्मी की छुट्टियाँ होने के कारण ज्योति घर पर थी. दंपति ने ज्योति को कुछ काम के लिए पास की एक दर्जी की दुकान पर जाने के लिए कहा. उसे 15-20 मिनट में वापस आ जाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने उसे फिर कभी नहीं देखा. झब्बू लाल ने न्यूज18 से बात करते हुए कहा कि तलाश तभी खत्म हुई जब उन्हें डी-5 बंगले में उसका सामान मिला. उन्होंने कहा कि वे पंढेर को जानते थे और उसके कपड़े इस्त्री करते थे.

हमेशा पंढेर को एक अच्छा इंसान माना
झब्‍बू लाल ने कहा कि मैंने हमेशा पंढेर को एक अच्छा इंसान माना है. वह सभ्य था. वह जानता था कि ज्‍योति मेरी बेटी है. इसके बाद भी उसने ज्‍योति की हत्या कर दी. हमने उसे फिर कभी नहीं देखा. सात महीने बाद जब शवों को खोदकर बाहर निकाला गया. तब हमने उसके कपड़े, चप्पल और उसके पास मिले पैसों की पहचान की. उस समय कम से कम 96 शव थे, मैंने खुद गिने, लेकिन मामला केवल 17 के लिए दर्ज किया गया था.

कई बार पंढेर के कपड़ों पर खून देखा
पंढेर के बारे में बात करते हुए 60 वर्षीय सुनीता देवी ने बताया कि उन्होंने कई बार पंढेर के कपड़ों पर खून देखा था. यह ज़्यादातर उसकी आस्तीन पर होता था. जब हम नौकर से पूछते थे तो वह कहता था कि यह मुर्गे का है. हमें कभी कोई शक नहीं हुआ क्योंकि हमें समय पर पैसे मिल रहे थे और हमें कभी नहीं लगा कि वह हमारे साथ ऐसा कुछ कर सकता है. अपनी बेटी ज्‍योति को याद कर सिसकती मां सुनीता देवी ने कहा कि वह पढ़ाई में अच्छी थी. उस समय, वह कक्षा 5 में थी. वह मुझसे कहती थी कि वह एक डॉक्टर बनना चाहती है. हम उसे पढ़ाना चाहते थे लेकिन यह शैतान उसे ले गया.

मैक्‍स के माता-पिता बोले- वो हमारा बड़ा सहारा होता
राजवती और अशोक की शादी के आठ साल बाद मैक्स पहला बच्चा था. वह बमुश्किल दो साल का था जब उनके पिता अशोक एक दुर्घटना का शिकार हो गये और उन्होंने अपना एक पैर खो दिया. निठारी कांड की याद करते हुए राजवती ने बताया कि उसके बेटे मैक्स के कपड़े और चप्‍पल डी-5 बंगले के पीछे से बरामद हुई थी. मैक्‍‍‍स अगर जिंदा होता तो परिवार के लिए एक बड़ा सहारा होता.

सारी उम्‍मीदें खो दी है, अब न्‍याय के लिए दौड़ने की ताकत नहीं
दंपति ने कहा कि उन्होंने अपनी सारी उम्मीदें खो दी हैं. उसके पास पैसा और ताकत थी, इसलिए उसे रिहा कर दिया गया. हम गरीब हैं और हमारा कोई सहारा नहीं है. क्या आपको लगता है कि इस उम्र में हमारे पास न्याय के लिए दौड़ने की ताकत है? साथ ही अगर पंढेर असली दोषी नहीं है तो फिर कौन है? या तो अब गलती हुई है या जिसने उसे दोषी ठहराया वह गलत है. अगर ये बच्चे अमीर और प्रभावशाली परिवारों से होते, तो क्या आपको लगता है कि उन्हें फांसी देने में इतना समय लगता.