Breaking News
  (राज्यसभा)
  (राज्यसभा)

राज्यसभा टिकट से बीजेपी ने कैसे साधे जातीय समीकरण  (राज्यसभा)

राज्यसभा: लोकसभा चुनाव से पहले 27 फरवरी को राज्यसभा  (राज्यसभा) चुनाव होने हैं. ऐसे में तमाम पार्टियां तैयारियों में जुट गई हैं.बीजेपी ने राज्यसभा चुनावों के लिए रविवार को 14 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए, जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री आर पी एन सिंह और उत्तर प्रदेश से निवर्तमान सांसद सुधांशु त्रिवेदी का नाम शामिल है. राज्यसभा प्रत्याशी के नए नामों में कर्नाटक से नारायणसा के. भंडगे और छत्तीसगढ़ से देवेंद्र प्रताप सिंह शामिल हैं.

जातीय समीकरणों पर जोर

वहीं बीजेपी ने जिन 14 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है, उसमें लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जातीय समीकरण का खास तौर पर ध्यान रखा गया है. समाजवादी पार्टी ने पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के भरोसे बीजेपी को शिकस्त देने का प्लान बनाया है. ऐसे में बीजेपी ने यूपी से राज्यसभा के उम्मीदवारों का चयन करने में पिछड़ी जातियों को खास तरजीह दी है.

राज्य से बीजेपी के सात उम्मीदवारों में चार पिछड़ी जाति से हैं. राज्यसभा चुनाव के लिए घोषित सात उम्मीदवारों में से आरपीएन सिंह (सैंथवार), चौधरी तेजवीर सिंह (जाट), अमरपाल मौर्य (कोइरी) और डॉक्टर संगीता बलवंत (बिंद) पिछड़ी जाति से हैं. इसके अलावा डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी (ब्राह्मण), साधना सिंह (क्षत्रिय) और नवीन जैन (जैन) बिरादरी से आते हैं. समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव अक्सर अपने भाषणों और बयानों में बीजेपी सरकार पर पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समाज के हितों पर कुठाराघात करने का आरोप लगाते हुए पीडीए के दम पर आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने की बात कहते हैं.

यूपी की 7 में से 4 सीटों पर पिछड़ी जाति के उम्मीदवार

ऐसे में बीजेपी के राज्यसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश से सात में से चार सीटों पर पिछड़ी जातियों के उम्मीदवार खड़े किए जाने के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. बीजेपी के यूपी से उम्मीदवार बनाए गए कुशीनगर से पूर्व सांसद और देश के पूर्व गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह वर्ष 1996, 2002 और 2007 में उत्तर प्रदेश की पडरौना सीट से विधायक रहे. साल 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए 59 साल के आरपीएन सिंह को पार्टी ने राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है.

कुशीनगर के सैंथवार शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले सिंह पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपनी बिरादरी के बड़े नेता माने जाते हैं. वह साल 2009 में कुशीनगर से लोकसभा के लिए चुने गए और 2009 से 2011 तक केंद्र के सड़क परिवहन राज्य मंत्री रहे. सिंह अक्टूबर 2012 तक यूपीए सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में वह कुशीनगर सीट से चुनाव लड़े लेकिन उन्हें बीजेपी उम्मीदवार ने शिकस्त दी.

मौर्य की हार, आरपीएन को क्रेडिट

साल 2022 के विधानसभा चुनाव से करीब एक महीना पहले जनवरी में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में आ गए. विधानसभा चुनाव से ऐन पहले बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य को कुशीनगर की फाजिलनगर सीट पर मिली हार का क्रेडिट सिंह को भी दिया जाता है.

स्वामी प्रसाद मौर्य पिछड़ी जाति के बड़े नेता माने जाते हैं और राज्य विधानसभा चुनाव से पहले उनका सपा में चला जाना बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा था. मौर्य ने कुशीनगर की फाजिलनगर सीट से चुनाव लड़ा था. ऐसे में इस सीट पर चुनाव बीजेपी के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल था हालांकि इस सीट पर मौर्य को हार का सामना करना पड़ा था और इसका श्रेय कुशीनगर में असरदार माने जाने वाले आरपीएन सिंह को भी दिया जाता है.

सुधांशु त्रिवेदी फिर जाएंगे राज्यसभा

बीजेपी ने सुधांशु त्रिवेदी को एक बार फिर उत्तर प्रदेश से राज्यसभा का टिकट दिया है. अक्टूबर 2019 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए त्रिवेदी की पहचान एक विश्लेषक, विचारक और राजनीतिक सलाहकार के तौर पर की जाती है. फिलहाल वह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं. लखनऊ में 20 अक्टूबर 1970 को जन्मे सुधांशु त्रिवेदी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की डिग्री भी हासिल की है. विभिन्न मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए विख्यात सुधांशु त्रिवेदी पर बीजेपी ने एक बार फिर भरोसा किया है और उन्हें लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश से राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है.

पिछड़ी जातियों को साधने का मंत्र

बीजेपी ने पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के महामंत्री अमरपाल मौर्य को भी राज्यसभा में भेजने का फैसला किया है. मौर्य लंबे समय से संगठन से जुड़े हैं और कोइरी समाज के प्रमुख नेता माने जाते हैं. करीब 45 साल के अमरपाल मौर्य उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के करीबी माने जाते हैं. राज्यसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश से बीजेपी की एक अन्य उम्मीदवार संगीता बलवंत योगी आदित्यनाथ की अगुआई वाली पिछली सरकार में सहकारिता राज्य मंत्री थीं और 2022 के विधानसभा चुनाव में वह गाजीपुर सदर सीट से 1600 मतों से हार गई थीं.

बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव के लिए मथुरा से तीन बार सांसद रहे चौधरी तेजवीर सिंह को भी टिकट दिया है. सिंह मथुरा से साल 1996, 1997 और 1998 में सांसद निर्वाचित हुए थे. वह जाट समुदाय के लोकप्रिय नेता माने जाते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश से चंदौली जिले की पूर्व विधायक साधना सिंह को भी बीजेपी ने राज्यसभा में भेजने का फैसला किया है. साधना को तेज तर्रार महिला नेताओं में शुमार किया जाता है. पार्टी के एक अन्य राज्यसभा उम्मीदवार नवीन जैन आगरा नगर निगम के पूर्व मेयर हैं.