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(skin cancer)
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मछली का ज्यादा सेवन स्किन कैंसर(skin cancer)

मछली: मछली सभी तरह के पौष्टिक तत्वों से भरपूर शानदार आहार है. कई रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि मछली का सेवन हार्ट डिजीज समेत कई बीमारियों के जोखिम से बचाता है. मछली में प्रोटीन, हेल्दी फैट समेत ओमेगा 3 फैटी एसिड, विटामिन डी और अन्य पोषक पाया जाता है लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि मछली का ज्यादा सेवन कैंसर को भी दावत दे सकता है. लेकिन एक अध्ययन में यह चौंकाने वाला दावा किया गया है कि मछली का ज्यादा सेवन स्किन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है. जी हां, कैंसर काउज एंड कंट्रोल जर्नल में छपी एक स्टडी में कहा गया कि मछली का ज्यादा सेवन स्किन कैंसर (skin cancer) के खतरे को बढ़ा सकता है.

जब यह अध्ययन हुआ और शोधकर्ताओं ने इससे कैंसर होने का दावा किया तो वैज्ञानिक जगत में इसे लेकर आश्चर्य व्यक्त किया गया क्योंकि न्यूट्रिशनिस्ट ही मछली खाने की सलाह देते हैं. दूसरी ओर स्किन कैंसर के लिए मुख्य रूप से सूर्य की रोशनी जिम्मेदार होती है.

स्टडी में किया कहा गया
स्टडी में दावा किया गया कि जो लोग ज्यादा मछली खाते हैं, उनमें मेलोनोमा होने का खतरा ज्यादा होता है. मेलोनोमा स्किन कैंसर का सबसे आम रूप है. स्टडी में दावा किया गया है कि यह अध्ययन अमेरिका के 6 राज्यों के 50 हजार से ज्यादा लोगों पर किया गया है. इस अध्ययन में 1995 से 1996 के बीच इन लोगों से हेल्थ से संबंधित सवाल पूछे गए थे. इनमें लोगों की औसत आयु 61 साल थी और 60 प्रतिशत से ज्यादा पुरुष थे. इसके बाद 15 साल तक इन लोगों की हेल्थ पर नजर रखी गई. इसके बाद शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया कि इन लोगों में से कितनों को मेलोनोमा से पीड़ित होना पड़ा. अध्ययन में दावा किया गया कि जिन लोगों ने प्रति सप्ताह 2.6 बार लिया उनमें 22 प्रतिशत स्किन कैंसर के मामले देखे गए. टूना मछली के सेवन में भी यही परिणाम सामने आया. हैरानी की बात यह है कि शोधकर्ताओं ने जब देखा कि जिन लोगों ने फ्राई मछली का सेवन किया चाहे उन्होंने कितना भी किया, उनमें मेलोनोमा के मामले नहीं देखे गए.

हार्वर्ड मेडिकल ने कही ये बात
तो क्या इसका मतलब यह निकाला जाए कि ज्यादा मछली खाने से मेलोनोमा कैंसर होता है. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के वेबसाइट पर इस स्टडी के बारे में कहा गया है कि इस अध्ययन से किसी नतीजे पर पहुंचना फिलहाल जल्दीबाजी होगी. यह स्टडी बेहद सीमित है. अभी इसके लिए विस्तृत अध्ययन की जरूरत है जिसमें इस बारे में पूरी तरह से पड़ताल की जा सके. हार्वर्ड मेडिकल ने कहा कि अध्ययन में लोगों ने बताया कि हमने सप्ताह में इतने दिन मछली खाई लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि वे सही ही बोल रहे होंगे. मेलोनोमा होने के कई कारण होते हैं. यह भी देखना होगा कि क्या किसी भी क्षेत्र में रह रहे लोगों को ज्यादा मछली खाने से स्किन कैंसर हो सकता है. स्टडी में यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या मछली हानिकारक रसायनों में स्टोर किया हुआ है. जैसे मछलियों को स्टोर करने के लिए उसमें कई तरह के हानिकारक रसायन मिले होते हैं. इसलिए यह कहना मुश्किल है कि स्किन कैंसर की मुख्य वजह क्या है.

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