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(Capsicum)
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शिमला मिर्च (Capsicum)को सब्जी के बजाय फल

शिमला मिर्च (Capsicum) का मसला भी खासा रोचक है. इसे पहाड़ी मिर्च भी कहा जाता है. विशेष बात यह है कि यह भारत की उपज नहीं है, इसके बावजूद इस मिर्च के साथ शिमला कैसे जुड़ गया.
आपको यह भी बता दें कि शिमला मिर्च सब्जी नहीं है. यह असल में फल है, लेकिन भारत में इसका अधिकतर इस्तेमाल सब्जी के रूप में किया जाता है. गुणों को लेकर तो शिमला मिर्च अपने रंग जैसी ही
‘चमकदार’ है. इसमें विटामिन तो भरपूर होते ही हैं, यह कोलेस्‍ट्रॉल भी बिल्कुल नहीं बढ़ाती. इसलिए इसका चलन आजकल खूब बढ़ गया है.

कॉन्टिनेंटल डिशेज में जमकर होता है प्रयोग
भारत में शिमला मिर्च आसानी से मिलती है और ज्यादा महंगी भी नहीं है, इसके बावजूद यह थोडी रिच मानी जाती है, क्योंकि आजकल इसका ‘संगम’ कॉन्टिनेंटल डिशेज के साथ ज्यादा हो गया है. पिज्जा,
नूडल्स (चाऊमीन), बर्गर, पनीर टिक्का, फ्रेंच ऑमलेट के अलावा नॉनवेज की कई आइटम में स्वाद लाने के लिए इसका इस्तेमाल जरूरी हो गया है. अब तो हरे रंग के अलावा लाल व पीले रंग की भी शिमला मिर्च मिलने लगी हैं और सलाद मे इसका खूब उपयोग होता है. इसके अलावा गार्निशिंग के लिए भी शिमला मिर्च जलवे दिखाती है.

शिमला मिर्चअब हरे रंग के अलावा लाल व पीले रंग की भी शिमला मिर्च मिलने लगी हैं.
शिमला मिर्च सब्जी के बजाय है फल
भारत में अभी भी शिमला मिर्च को सब्जी माना जाता है और मसालेदार आलू से भरी शिमला मिर्च की सब्जी किसी के भी मुंह में पानी ला सकती है. लेकिन असल में यह सब्जी नहीं बल्कि
के अनुसार किसी पौधे के फूल में मौजूद अंडाणु से विकसित होने वाले हिस्से को फल कहा जाता है जबकि पौधे की जड़, तने और पत्तियों से विकसित होने वाले हिस्से को सब्जी कहा जाता है. चूंकि शिमला मिर्च, टमाटर आदि फूल से निकलते हैं इसलिए इन्हें फल की श्रेणी में रखा जाता है.

अंग्रेजों की वजह से शिमला मिर्च पड़ा नाम
इतिहास की किताबें और रिसर्च बताती हैं कि शिमला मिर्च का उत्पत्ति केंद्र दक्षिण अमेरिका और उपकेंद्र पेरू, इक्वाडोर व बोलिविया है. इन क्षेत्रों में शिमला मिर्च की खेती करीब 3000 सालों से की जा रही है. इस सब्जी का नाम भारत में शिमला मिर्च क्यों पड़ा, उसकी कहानी यह है कि भारत में राज करने वाले अंग्रेज गर्मियों में शिमला को राजधानी बनाते थे. वे अपने साथ इस सब्जी का बीज भी लाए और शिमला क्षेत्र के अनुकूल मौसम व पहाड़ी मिट्टी को देखते हुए उन्होंने इसे वहां बोया, यह उग गई. तभी से इसका नाम शिमला मिर्च पड़ गया.

शिमला मिर्चदक्षिण अमेरिका और उपकेंद्र पेरू, इक्वाडोर व बोलिविया में शिमला मिर्च की खेती करीब 3000 सालों से की जा रही है.
यह वाकई भारत के लिए ‘नई सब्जी’ है, क्योंकि देश के प्राचीन धार्मिक व पौराणिक ग्रंथों में इसका वर्णन नहीं है, न ही भारत के पुराने खान-पान में इसका कहीं जिक्र है.

एंटीऑक्सीडेंट है और कोलेस्‍ट्रॉल बिल्कुल भी नहीं
गुणों के मामले में शिमला का कोई जवाब नहीं है. जो सब्जी जितनी ज्यादा चमक व रंग लिए होगी, उसमें एंटीऑक्सीडेंट तो खूब होगा ही साथ ही इस तरह की सब्जियां शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल को बिल्कुल भी नहीं बढ़ाती हैं. फूड एक्सपर्ट व न्यूट्रिशियन कंसलटेंट नीलांजना सिंह के अनुसार शिमला मिर्च को तीखा बनाने वाला कंपाउंड कम होता है, इसलिए इसका फ्लेवर तीखी मिर्च जैसा नहीं है. इसमें रस भी है और हल्का सा मीठापन भी. इसमें न्यूट्रिन जैसे विटामिन सी, ए और बीटा कैरोटीन काफी मात्रा में होता है, लेकिन कैलोरी नहीं होती, जिससे बेड कोलेस्‍ट्रॉल नहीं बढ़ता. शिमला मिर्च से वजन भी कंट्रोल रहता है.

ज्यादा खाने से हो सकती हैं ये परेशानियां
उन्होंने यह भी बताया कि शिमला मिर्च में फाइटोकेमिकल्स की मौजूदगी है, इसलिए स्किन को चमकदार रखती है और आंखों की रोशनी को बरकरार रखती है. इसमें विटामिन सी भी पर्याप्त मात्रा में है, जिस कारण सर्दी जुकाम या अन्य बीमारियों से बचाव होता है और प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ती है. इसे सूजनरोधी भी माना गया है. यह शरीर के जोड़ों को दर्द करने में भी मददगार है. इसमें मैग्निशियम, फास्फोरस, पोटेशियम भी पाया जाता है. इसका नुकसान यह है कि अगर इसे ज्यादा मात्रा में खा लिया जाए तो पेट में गैस की समस्या हो सकती है. इसका ज्यादा सेवन खुजली पैदा कर सकता है और रुखापन भी. इसके अलावा कुछ देर नाक बहने व आंखों में आंसू बहने की भी समस्या हो सकती है.