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जीजा ने कई बार देखी दृश्यम-2… फिर दबाया गला, जिंदा बचने पर दो बार रेती गर्दन, टूटे व्हील कवर से खुला राज !

महिला को अगवा कर गला रेतकर फेंकने की वारदात का पुलिस ने बुधवार को खुलासा कर दिया। महिला के जीजा ने ही अपने साथियों संग वारदात को अंजाम दिया था। पुलिस का दावा है कि जीजा ने संपत्ति के लालच में साली की हत्या की साजिश रची थी। साजिशकर्ता समेत चार आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। अपहरण में इस्तेमाल की गई एसयूवी बरामद कर ली गई है। फतेहगंज पारा निवासी नीलम (32) के पास पांच नवंबर की शाम एक परिचित आसमा पहुंची थी। वह एक परिचित के प्लॉट पर पूजा होने की बात कहकर नीलम को लेकर चली गई थी। छह नवंबर की सुबह मोहनलालगंज इलाके में झाड़ियों में नीलम खून से लथपथ मिली थी। गर्दन रेती हुई थी।

                               एडीसीपी पश्चिम चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि तफ्तीश में सामने आया कि रामनगर बाराबंकी निवासी नीलम के जीजा संतोष कुमार सैनी ने वारदात की साजिश रची। उसने अपने हुसैनगंज निवासी दोस्त आसिफ उर्फ अंसारी, उसकी भतीजी आसमां व इनोवा मालिक शुभम यादव के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया। इन चारों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।

साजिश को इस तरह दिया था अंजाम

संतोष ने साजिश में अपने साथियों को शामिल किया। साजिश के तहत करीब तीन चार महीने से लगातार आसमा नीलम के चाय के होटल पर जाती रही, जिससे दोनों की दोस्ती हो गई। जब यकीन हो गया कि नीलम उस पर भरोसा करने लगी है तब वारदात के दिन उसको पूजा करवाने के बहाने वहां से लेकर गई।

बुद्धेश्वर चौराहे पर शुभम ने उसको जूस दिया, जिसके बाद वह बेहोश हो गई। तब संतोष व आसिफ भी वहां पहुंच गए। एसयूवी से उसको मोहनलालगंज इलाके में ले गए और गला रेतकर फेंक दिया। एसयूवी को देर रात तक इधर उधर घुमाते रहे।

इसलिए की वारदात, मरा मान फेंक गए थे

पूछताछ में आरोपी संतोष ने बताया कि सास-ससुर ने एक मकान व एक बीघा जमीन नीलम के नाम कर दी थी। कुछ जमीन व एक मकान और भी है। उसको आशंका थी कि कहीं ये संपत्ति भी नीलम के नाम न कर दें। सास-ससुर नीलम से पति के अलग होने में संतोष को ही जिम्मेदार ठहराते थे। इसलिए वह नीलम व अपने सास ससुर से खुन्नस रखने लगा था। इन वजहों से उसने नीलम को रास्ते से हटाने की साजिश रची। जब नीलम को फेंका था तो सभी मान चुके थे कि उसकी सांसें बंद हो चुकी हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नीलम की हालत अब बेहतर है। इलाज जारी है।

दस लाख रुपये व एक प्लॉट में हुई थी डील

आसिफ, आसमा व शुभम को संतोष ने एक तरह से सुपारी दी थी, लेकिन साथ में वह खुद भी शामिल रहा। पुलिस के मुताबिक संतोष ने अन्य तीनों साथियों को वारदात के बदले में 10 लाख रुपये व एक प्लॉट देने की डील की थी।

1900 कैमरे खंगाले… 10 एसयूवी चिन्हित कीं, टूटे व्हील कवर से राजफाश

महिला को अगवा कर गला रेतकर फेंकने के मामले में पुलिस ने करीब 1900 कैमरों के फुटेज खंगाले। फुटेज से 10 ग्रे रंग की एसयूवी (इनोवा) चिन्हित कीं। इसमें से एक एसयूवी के पीछे बायीं तरफ वाले पहिये का व्हील कवर टूटा दिखा। उसी आधार पर उसको करीब 49 किमी तक ट्रेस करते रहे। तब पुलिस सीधे उस गैराज में पहुंची जहां पर एसयूवी खड़ी थी। एसयूवी मालिक के पकड़े जाने के बाद वारदात का राजफाश हुआ।

एडीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि नीलम को जहां से ले जाया गया था वहां से करीब दो सौ मीटर की दूरी पर पहला सीसीटीवी लगा मिला था। एक तय समयांतराल में में 10 ग्रे कलर की इनोवा चिन्हित की गईं। जो इनोवा संदिग्ध थी, उसके नंबर के आधार पर मालिक से पूछताछ की गई तो पता चला कि उसकी भूमिका नहीं है। स्पष्ट हुआ कि आरोपियों ने इनोवा पर गलत नंबर की प्लेट लगाई थी। तब टूटे हुए व्हील कवर के आधार पर उसको फुटेज के जरिये ट्रेस किया गया। इसमें 9 टीमें लगाई गई थीं।

दृश्यम-2 फिल्म देख सुबूत मिटाने की कोशिश

पूछताछ में आरोपी संतोष ने बताया कि उसने दृश्यम-2 फिल्म देखी थी। फिल्म में वारदात के बाद जिस तरह से सुबूत मिटाते हुए दिखाया गया था, उसी तरह से वह भी करना चाहता था। इसलिए उसने करीब दो महीने पहले एक राह चलती इनोवा कार का नंबर नोट कर लिया था। फिर उसकी नंबर प्लेट बनवाई।

               साथी आसिफ से इनोवा का इंतजाम करने को कहा। तब शुभम की एंट्री हुई। उस इनोवा पर ये फर्जी नंबर प्लेट लगाई। संतोष ने अपना मोबाइल उन्नाव में स्थित ससुराल में छोड़ दिया था। अन्य तीनों ने मोबाइल बंद कर लिए थे, लेकिन पुलिस ने उनको बेनकाब कर दिया।

गला दबाया, फिर दो बार रेता था गला

पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि पहले गाड़ी में ही नीलम का संतोष ने गला दबाया। जब उसको झाड़ियों में फेंकने गए तो सांस चलती मिली। इस पर ब्लेड से संतोष ने एक बार गला रेता। फिर आसमा ने भी उसके गले पर ब्लेड चलाई। जब लगा कि नीलम मर गई तब सभी वहां से चले गए। गनीमत रही कि सुबह तक नीलम की सांसें चलती रहीं।

25 हजार एडवांस दिए थे, इसलिए खुलासा था चुनौती

वारदात से पहले संतोष ने तीनों को 25 हजार रुपये दिए थे। इसमें से दस-दस हजार रुपये आसमा व शुभम को और पांच हजार रुपये आसिफ को मिले थे। जूस में बेहोशी का जो पाउडर इस्तेमाल किया था, उसको घटना से दो दिन पहले संतोष ने खरीदकर शुभम को दिया था। वहीं, वारदात का खुलासा करना इसलिए चुनौती भरा था, क्योंकि पुलिस को सिर्फ आसमा नाम पता था। न मोबाइल नंबर था और न ही पता।