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( Atiq Ahmed )
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 अतीक अहमद ( Atiq Ahmed )की सजा यूपी के लिए बड़ी बात है

नई दिल्‍ली. 2017 की बात है जब अतीक अहमद ( Atiq Ahmed ) उत्तर प्रदेश के चुनाव में कानपुर छावनी सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) से अपना टिकट पक्का कराने के लिए कारों और हथियारबंद लोगों के साथ लखनऊ पहुंचे थे. तब मुलायम सिंह यादव ने टिकट की घोषणा की थी, लेकिनउनके बेटे और तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव टिकट की पुष्टि करने में असहज थे और उन्होंने अहमद को पीछे हटने के लिए कहा था. तब अतीक अहमद ने कहा था, “ठीक है, मैं अपना नाम वापस ले रहा हूं, वो मेरे खिलाफ 100 आपराधिक मामलों का हवाला दे रहे हैं, लेकिन वे भूल जाते हैं कि मैं एक आज़ाद आदमी हूं और मैं मुस्लिम वोट लाता हूं… उनके पास एक गलत संदेश जा रहा है. सपा उत्तर प्रदेश में यह चुनाव हार जाएगी…”

अब 28 मार्च, 2023 तक, लगभग छह साल बाद, अहमद को आखिरकार अदालत द्वारा पहली बार दोषी ठहराया गया है. वह भी उसके खिलाफ पहला आपराधिक मामला दर्ज होने के लगभग 43 साल बाद उसे पहली बार सजा हुई है. अहमद के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास और फिरौती के लिए अपहरण के आरोप में बताए गए 100 मामलों में से लगभग 60 पर मुकदमा चल रहा है, लेकिन कई लोगों ने प्रमुख गवाहों को मुकरते या अदालत में पेश नहीं होते देखा है. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस दृढ़ विश्वास को योगी आदित्यनाथ सरकार के रूप में पेश करेगी जो उत्तर प्रदेश में 43 वर्षों में नहीं किया जा सका और मुख्यमंत्री ने अतीक अहमद के माफिया के अभेद्य किले को धराशायी कर दिया.

राज्य में बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि सजा एक मिसाल कायम करती है क्योंकि 2017 से पहले राज्य में सपा के शासन के दौरान, अहमद राज्य में खुलेआम घूमता था और कानून का मजाक उड़ाता था और इलाहाबाद से बिना किसी डर के अपना माफिया गिरोह चलाता था. उन्‍होंने कहा कि ‘इससे आम आदमी को यह आभास हुआ कि कानून अपना काम करता है. लोगों ने पहली बार अतीक के चेहरे पर डर देखा. ये डर सरकार और कानून का था. एक समय अतीक के इलाके में उसकी हुकूमत थी और वहां पुलिस और कानून की पहुंच नहीं थी.