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Accident in Amarnath Yatra

Accident in Amarnath Yatra : हार्ट अटैक से भवन में हुई मौत…

नई दिल्ली। Accident in Amarnath Yatra : हार्ट अटैक से भवन में हुई मौत…  बारिश ने अमरनाथ यात्रियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। मंगलवार को हुई तेज बारिश के बाद यात्री जहां थे, वहीं फंस गए। यात्रा भी रोक दी गई। यात्रा में शामिल मंडिदीप के फूलसिंह परमार ने बताया कि एक यात्री की हार्ट अटैक से भवन के पास ही मौत हो गई। वहीं एक अन्य यात्री घोड़े से नीचे गिर गया, जिससे सुरक्षा जवानों ने बड़ी जद्दोजहद के बाद बचाया। अमरनाथ यात्रा की खड़ी चढ़ाई में घोड़े भी गिर रहे हैं। लगातार 30 घंटे जब आप सीढ़ियां और पहाड़ की खड़ी चढ़ाई चढ़ेंगे तब जाकर आप पहुंचेंगे अमरनाथ की पवित्र गुफा।

Accident in Amarnath Yatra : एक यात्री की हार्ट अटैक से मौत

ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ आक्सीजन कम होगी और सांस कम मिलेगी, थकान बढ़ेगी। मौसम इतना अटपटा कि पल में धूप, दूसरे पल बारिश और तीसरे पल बर्फबारी। यह बानगी है अमरनाथ धाम की। भास्कर के दो रिपोर्टर पहले जत्थे के साथ बाबा के दर्शन को पहुंचे थे। यहां हम पहलगाम बेस कैंप के जरिए चढ़ने से लेकर बालटाल कैंप में उतरने तक की यात्रा का बेहद रोमांचक अनुभव आपसे साझा करने जा रहे हैं।

अमरनाथ यात्रा में हादसा: चढ़ाई में घोड़े तक नीचे गिर रहे

जो किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं। इसके पहले पढ़िए श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के सीईओ नितिश्वर कुमार से हुई बातचीत। कुमार के मुताबिक, पहली बार बाबा अमरनाथ से भक्तों की एक तय दूरी बना दी गई है, क्योंकि भीड़ से हीट पैदा होती है। हीट को रोकने के लिए ही नई व्यवस्था बनाई गई है। अब दर्शन के लिए इतनी जगह है कि बिना भीड़ के भक्त आराम से दर्शन कर निकल सकते हैं और उन्हें इंतजार भी नहीं करना पड़ता। सुबह 6 बजे आरती होने के बाद बाबा के दर्शन शुरू हो जाते हैं, जो शाम की आरती तक जारी रहते हैं।

Accident in Amarnath Yatra : पूरे रूट पर ही छोटे-बड़े लंगर मिलते हैं

श्राइन बोर्ड की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, इस साल पहले दिन, यानी 30 जून को 7,483 भक्तों ने दर्शन किए। भक्तों को सेवाएं देने के लिए 140 लंगर लगाए गए हैं। पूरे रूट पर ही छोटे-बड़े लंगर मिलते हैं। अमरनाथ यात्रा के पहले जत्थे के साथ हम 29 जून की शाम को पहलगाम के नुनवान बेस कैंप पहुंच चुके थे। घाटी में घुसते ही जम्मू में लगने वाली चिलचिलाती और उमसभरी गर्मी से राहत मिल चुकी थी। कश्मीर की वादियों में चीड़ के पेड़ों के आगोश में देर शाम हमें तंबू में ठिकाना मिला।

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तंबू की देखरेख अनंतनाग के ही रहने वाले मुश्ताक के पास थी। हम मुश्ताक भाई के इस सीजन के पहले गेस्ट थे। पहला गेस्ट पाने की खुशी उनके चेहरे और उनकी बोली में महसूस की जा सकती थी। रात बढ़ने के साथ ठंडी हवाओं का शोर बढ़ चुका था। अब अगली सुबह और उसके साथ शुरू होने वाले रोमांच का इंतजार था।

Accident in Amarnath Yatra : अमरनाथ यात्रा में इस बार करीब 140 लंगर लगे हैं

सुबह 5 बजे। बर्फीला पानी मुंह पर लगा, एक सैकेंड को करंट मार गया, लेकिन लंगर और भंडारों की गर्म-गर्म चाय और नाश्ते ने जोश को फिर जिंदा कर दिया। अमरनाथ यात्रा में इस बार करीब 140 लंगर लगे हैं। इनमें अधिकतर दिल्ली, पंजाब, राजस्थान जैसे राज्यों के हैं। खैर, पहले जत्थे के हजारों यात्री स्नान के बाद नुनवान कैंप से चंदनवाड़ी की ओर निकल चुके थे। नुनवान कैंप से चंदनवाड़ी 16 किमी है और टैक्सी से ये सफर आधे घंटे में पूरा हो जाता है।

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चंदनवाड़ी कैंप से सिक्योरिटी चेक के बाद ही बाबा बर्फानी की यात्रा शुरू होती है। पहले जत्थे में शामिल ज्यादातर यात्री पैदल ही ऊंचे पहाड़ की चढ़ाई करना शुरू कर चुके थे। 15 साल के बच्चे से लेकर 75 साल के बुजुर्ग तक जोशीले अंदाज में बम भोले-बम भोलेश् के जयकारों आगे बढ़ने लगे। कुछ यात्री घोड़ों और पालकी के जरिए भी जा रहे थे, लेकिन भीड़ पैदल वालों की ही थी।