पंजाब के मुख्यमंत्रियों की राजनीतिक यात्रा में जमीन-आसमान का अंतर

खरार. पंजाब के खरार टाउन के नजदीक मकरोना कलां गांव के स्थानीय लोग इस वक्त बेहद खुशी के साथ छोटा एकमंजिला घर दिखा रहे हैं. इस घर के एकदम बगल में रहने वाले जसवंत सिंह बताते हैं- ‘यही वो घर है जहां पर पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी का जन्म हुआ था. ये सबकुछ किस्मत है.’
ये घर इस वक्त बुरी हालत में और यहां कोई भी नहीं रहता. लेकिन यही वो घर है जिसके बारे मे चन्नी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली प्रेसवार्ता में जिक्र किया था. उन्होंने अपनी जड़ों को याद करते हुए कहा था कि वो एक ऐसे घर में पैदा हुए जहां पर एक ठीकठाक छत भी नहीं थी. घर की दीवार पर मिट्टी चिपकानी पड़ती थी, ये काम उनकी मां किया करती थीं. उनके पिता के पास एक छोटा टेंट हाउस था.
इससे ठीक चालीस किलोमीटर दूर है सिसवां फार्म हाउस जो राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और पटियाला राजघराने के उत्तराधिकारी कैप्टन अमरिंदर सिंह का निजी निवास है. उन्होंने अपनी जिंदगी का ज्यादातर वक्त यहीं व्यतीत किया है. ऐसा लगता है जैसे पंजाब की राजनीति ने सिसवां कलां से मकरोना कलां तक की यात्रा की है. एक महाराजा के बाद समाज के सबसे कमजोर तबके का व्यक्ति राज्य का सीएम बना है. पूरे खरार इलाके और मकरोना कलां के रास्ते में चन्नी के पोस्टर नवजोत सिंह सिद्धू के साथ लगे हुए दिखाई देते हैं.
खरार के जिस इलाके में इस वक्त चन्नी रहते हैं इस वक्त वहां पर बुलेट प्रुफ गाड़ियों की भीड़ है. ये खरार की पॉश कॉलोनी है. चन्नी मंगलवार सुबह घर पर मौजूद थे और इसके बाद वो दिल्ली निकल गए. लोगों की शुभकामनाएं लेने का काम इस वक्त चन्नी की पत्नी कमलजीत कौर के पास है. वो कहती हैं-‘ये सबकुछ हमलोगों के लिए बिल्कुल आश्चर्यचिक कर देने वाला था. हम लोग अपने बेटे की शादी की तैयारियों में लगे थे जो 10 अक्टूबर को है.’ घर का दरवाजा सजा हुआ है. यहां तक कि लोगों को जो निमंत्रण पत्र भेजा गया है कि उसमें भी चन्नी को कैबिनेट मंत्री ही बताया गया है न कि मुख्यमंत्री. कमलजीत ने न्यूज़18 से कहा-इस वक्त मेरे ऊपर दोहरा काम है, क्योंकि वो (चन्नी) मुख्यमंत्री बनने के बाद बेहद व्यस्त हैं.