अंतराष्ट्रीय

दो ऐसे मुल्क के राजपरिवार बेचते है मछलियां और चलाता है रेस्तरां

दुनिया के सबसे ताकतवर या फिर सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों की बात तो अक्सर होती है, लेकिन क्या आप दुनिया के सबसे छोटे देश के बारे में जानते हैं! सीलैंड नाम का देश दुनिया का सबसे छोटा मुल्क है, जिसकी आबादी भारत के किसी संयुक्त परिवार जितनी है. साल 2002 में यहां आखिरी बार जनगणना हुई थी, जिसके मुताबिक देश में 27 लोग हैं. आबादी और विस्तार के लिहाज से इसे माइक्रो नेशन भी कहा जाता है. जानिए, क्या खास है दुनिया के सबसे छोटे देश में.

इसे ब्रिटेन की तरफ से सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान बनाया गया था ताकि समुद्री युद्ध में मदद मिल सके. सी-लैंड देश की जमीन एक खंडहर किले पर स्थित है. ये जगह इंग्लैंड के से लगभग 10 किलोमीटर दूर है. सीलैंड पर अलग-अलग लोगों का कब्जा रहा है. जिन टॉवर पर सीलैंड की जमीन है उन्हें रफ टॉवर कहा जाता. रफ टॉवर पर फरवरी और अगस्त 1965 में जैक मूर और उनकी बेटी जेन ने कब्जा कर लिया था. सितंबर 1967 में किले पर ब्रिटिश मेजर पैड्डी रॉय बेट्स ने कब्जा किया था.

पैड्डी रॉय बेट्स ब्रिटिश समुद्री डाकू थे, जो साथ में रेडियो प्रसारण भी किया करते थे. वैसे मूल तौर पर वो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना में प्रमुख थे. इन्होंने अपनी जांबाजी से समुद्री डाकुओं के एक विरोधी समूह को बाहर कर दिया था. बेट्स का इरादा समुद्री डाकू रेडियो स्टेशन बनाने और उसे लोकप्रियता दिलाने का था. उन्होंने ऐसी कोशिश भी की, जिसे रेडियो एस्सेक्स नाम दिया था. हालांकि कुछ अज्ञात कारणों से जरूरी उपकरण और रेडियो की जानकारी होने के बावजूद कभी प्रसारण शुरू नहीं हो सका.

फिर बेट्स ने रफ टॉवर की स्वतंत्रता की घोषणा कर इसे सीलैंड रियासत माना. 1975 में बेट्स ने सीलैंड के लिए संविधान पेश किया, जिसमें उन्होंने वहां के लिए राष्ट्रीय झंडा, राष्ट्रगान, करेंसी और पासपोर्ट जारी किया. डेली पोस्ट की खबर के मुताबिक रॉय बेट्स ने 9 अक्टूबर 2012 को खुद को सी-लैंड का राजा घोषित किया था. रॉय बेट्स की मौत के बाद उनके बेटे माइकल ने पिता की जगह ली.

सीलैंड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक देश के रूप में मान्यता नहीं मिली है. लेकिन दुनिया के बाकी देशों की तरह सीलैंड की अपनी करेंसी और पोस्टेज स्टैंप है. इसे माइक्रो नेशन भी कहा जाता है. बता दें कि माइक्रो नेशन उन देशों को कहा जाता है, जिन्हें आधिकारिक तौर पर एक देश के रूप में मान्यता नहीं है. जगह के मामले में सीलैंड बहुत छोटा है, जमीन के इस हिस्से पर रोजगार का कोई स्रोत नहीं है, बल्कि यहां के परिवार बाहर जाकर रोजी-रोटी कमाते हैं. मूलतः वे मछलियां और समुद्री चीजें बेचते हैं, जिन्हें कहा गया है.

सीलैंड की तरह ही एक और देश भी है, जहां केवल 11 लोग रहते हैं. टली के सार्डीनिया प्रांत के पास बना एक छोटा सा द्वीप किंगडम ऑफ टवोलारा सबसे छोटी बादशाहत है, जिसमें 11 लोग रहते हैं. यहां एक राजा भी है एंटोनियो बर्टोलेओनी, जो इस द्वीप का इकलौता रेस्त्रां चलाता है.

द्वीप की कहानी शुरू होती है साल 1807 से, जब वर्तमान राजा एंटोनियो, जिसे टोनियो के नाम से भी जाना जाता है, के दादा के दादा इटली से भागते हुए इस द्वीप पर पहुंचे. दरअसल उन्होंने दो बहनों से एक साथ शादी की थी और द्विपत्नीत्व के आरोप से बचना चाहते थे. इसी भागमभाग में वो इस सुनसान द्वीप पर पहुंचे.

द्वीप सूना तो था लेकिन वहां की खासियत थी कि वहां सुनहरे दांतों वाली बकरियां पाई जाती थीं. जल्द ही सुनहरे दांतों वाली इन अनोखी बकरियों की बात फैलने लगी और लोग द्वीप पर शिकार के लिए आने लगे. तब शिकार में मदद करते हुए गुसेप के बेटे पाओलो अपने-आप को द्वीप का राजा बताते. धीरे-धीरे टवोलारा को अलग बादशाहत माना जाने लगा. उस दौरान द्वीप पर कुल 33 लोग रहने लगे थे और इस तरह से पाओलो उन 33 लोगों के राजा बन गए.

खुद को राजा मानते हुए पाओलो ने अपनी वसीयत में लिखा कि उनकी कब्र पर मुकुट लगाया जाए. इस राजा ने जीते-जी कभी क्राउन नहीं पहना था लेकिन मौत के बाद कब्र पर मुकुट लगाया गया. फिलहाल द्वीप के अकेले रेस्त्रां की कहानी भी दिलचस्प है. इसे द्वीप के वर्तमान राजा यानी एंटोनियो और उनका शाही परिवार चलाता है. ये लोग इटली से इस द्वीप तक लगभग रोज फेरी लगाते हैं और रेस्त्रां में जरूरी सामान लाते- ले जाते हैं ताकि सैलानियों को उनकी पसंद का खिलाया-पिलाया जा सके. तकनीकी तौर पर देखा जाए तो इस द्वीप पर रहने वाला सारा शाही खानदान इटली का नागरिक है. हालांकि इटली ने भी इस द्वीप को अपना हिस्सा नहीं माना है. इसलिए टवोलारा को टोनियो अपना ही साम्राज्य मानते हैं.

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