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(2 new planets!)
(2 new planets!)

2 नए ग्रह!(2 new planets!) धरती तक रोशनी पहुंचने में लगते हैं इतने साल

नए ग्रह: हमारा ब्रह्मांड इतना बड़ा है कि अभी तक दुनिया की तमाम स्पेस एंजेसियों में काम कर रहे वैज्ञानिक भी इसका सार भी पूरी तरह खोज भी नहीं पाए हैं. इस बीच वैज्ञानिकों ये पता लगाने में जरूर कामयाब रहे हैं कि हमारे इस सौर मंडल की तरह कई और गैलेक्सी हैं. हर गैलेक्सी का अपना अलग सिस्टम है. ऐसी ही एक स्टडी के दौरान अब वैज्ञानिकों ने दो नए ग्रह (2 new planets!) और 30 धूमकेतु भी खोजे हैं.

वैज्ञानिकों के आकर्षण का केंद्र
हमारी धरती की सीमा से कहीं दूर इस बीटा पिक्टोरिस ग्रह प्रणाली को लेकर शोधकर्ता आकर्षित होते रहे हैं. अब खगोलविदों ने हमारी मिल्की वे गैलेक्सी के बाहर स्थित 30 धूमकेतु की खोज की है जो सूर्य की ही तरह बीटा पिक्टोरिस स्टार की परिक्रमा करते हैं.

धरती तक रोशनी पहुंचने में लगता है इतना समय
सीएनएन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक धरती से इनकी दूरी करीब 63 प्रकाश वर्ष है. इस हिसाब से वहां से रोशनी आने में इतना समय लगता होगा. आपको बता दें कि इस बीटा पिक्टोरिस को करीब 40 साल पहले खोजा गया था. यह गैस और धूल से बने एक मलबे की डिस्क से घिरा हुआ है. जिसने दो ग्रहों को जन्म दिया है. जो बीटा पिक्टोरिस की परिक्रमा कर रहे हैं. इसे देख कर वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं, क्योंकि हमारा सौर मंडल 4.5 अरब वर्ष पुराना है, जबकि बीटा पिक्टोरिस 20 मिलियन साल पुराना है, जो काफी युवा है. इसके जरिए वैज्ञानिक ग्रहों के बनने के दौरान की प्रक्रिया को समझ सकते हैं.

इतने विशालकाय हैं धूमकेतु
वैज्ञानिकों ने 1987 की शुरुआत में धूमकेतु का पता लगाया था जो हमारे सूर्य की ही तरह दिखने वाले तारे का चक्कर लगा रहे हैं. एक अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च टीम ने NASA के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट से बीटा पिक्टोरिस सिस्टम का 156 दिनों तक लगातार अध्यन किया था. इस दौरान ये टीम उनके साइज का पता लगाने में कामयाब रही. इन धूमकेतुओं का आकार हमारे सौर मंडल में पाए जाने वाले धूमकेतुओं की ही तरह है. ये पहला मौका है जब वैज्ञानिकों ने किसी अन्य सोलर सिस्टम के धूमकेतुओं के आकार का पता लगाया है. इस दौरान इनका साइज करीब 3 से 14 किलोमीटर के वृत्त जितना पाया गया है.