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100 hectares of land : नहरों की कई हेक्टेयर जमीने ‘चोरी’, पूरी मामला

आगरा। 100 hectares of land : नहरों की कई हेक्टेयर जमीने ‘चोरी’, पूरी मामला…  ताजनगरी में 150 करोड़ रुपये की नहर ‘चोरी’ हो गई। सिकंदरा रजवाह, पार्क नहर, दयालबाग नहर, मघटई नहर की 100 हेक्टेयर से अधिक सरकारी भूमि पर पक्के निर्माण हैं। बिल्डिंग, मार्केट, माल व होटल खड़े हैं। रसूख और सिक्कों की खनक के आगे अफसर बौने हो गए। 75 साल में जिले में एक नई नहर नहीं बनी। जो विरासत में मिलीं उन्हें सिंचाई विभाग सहेज नहीं पाया। ये हाल तब है जब नहरों की निगरानी के लिए सिंचाई विभाग में 70 से अधिक सींचपाल हैं।

100 hectares of land : ताजनगरी में ‘चोरी’ हो गई नहरों की 100 हेक्टेयर जमीन

जूनियर इंजीनियर से लेकर सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर तक शहर में ही विराजमान हैं। विभाग की मिलीभगत से सरकारी जमीनों पर कब्जे का ‘खेल’ चल रहा है। अमर उजाला ने शहरी क्षेत्र में नहरों पर हुए कब्जों की पड़ताल की, तो धरातल पर चैकाने तथ्य सामने आए हैं। जोधपुर झाल से निकलने वाली 21.60 किमी. लंबा सिकंदरा रजवाह मौके पर 14 किमी रह गया। सात किमी रजवाह गायब है।

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आईएसबीटी बस स्टैंड से लेकर भगवान टाकीज, सुल्तानगंज पुलिया, नेहरू नगर तक सिकंदरा रजवाह की टेल ढूड़े नहीं मिली। इसी रजवाह से निकली 4 किमी. दयालबाग नहर विलुप्त है। नहर भूमि पर मार्केट, ढाबा व पुलिस थाना खड़ा है। टर्मिनल रजवाह से निकलनी वाली 7.8 किमी. लंबी पार्क नहर नाला बन गई। इससे शाहजहां गार्डन में सिंचाई होती थी।

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ताजमहल के आंगन में हरियाली के लिए बनी इस नहर पर 500 से अधिक कब्जे हैं। नहर से निकली गूलों पर होटल खड़े हैं। यही हश्र 4 किमी. लंबी मघटई नहर का हुआ, करीब 2 किमी. नहर अतिक्रमण से जमींदोज हो चुकी है। सर्किल रेट के मुताबिक अतिक्रमण में दफन नहर भूमि की कीमत 150 करोड़ रुपये से अधिक है।

हाइवे किनारे नहर पर कब्जे व निर्माण होने से जलभराव की समस्या है। सिकंदरा से लेकर वाटर वर्क्स तक हाइवे की सर्विस रोड पर बरसात में पानी भर जाता है।

100 hectares of land : नोटिस भेजे, न एफआईआर

नहरों पर हुए कब्जों को अफसर देखते रहे। नोटिस भेजे न कोई एफआईआर कराई। आरोप है कि कब्जेदारों से विभागीय अफसर व कर्मचारी उपकृत होते रहे। बदले में शहरीकरण का राग अलापा। जबकि बेशकीमती सरकारी भूमि पर हुए कब्जों को हटाने के लिए पिछले दस साल में कोई कार्रवाई नहीं की।

सर्वे से हुआ था खुलासा

जोंस मिल में सिंचाई भूमि पर हुए कब्जे की जांच के लिए जिलाधिकारी ने राजस्व, सिंचाई व नगर निगम टीम से संयुक्त सर्वे कराया था। सर्वे में भगवान टाकीज से लेकर जीवनी मंडी तक 250 पक्के कब्जों का खुलासा हुआ था। परंतु सर्वे के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। यहां रसूख के आगे नियम कायदे बौने हो गए।