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संस्कृत स्कूलों और मदरसों की संख्या इनपर कितना खर्च करती है-असम राज्य सरकार

असम सरकार की कैबिनेट ने राज्य के सभी सरकारी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद करने के प्रस्ताव को रविवार को मंजूरी दे दी. सीएम सर्बानंद सोनोवाल की कैबिनेट ने इस फैसले से एक लकीर खींच दी है कि राज्य में अब सरकारी खर्चे पर धार्मिक पढ़ाई नहीं होगी. सरकार इसको लेकर आगामी विधानसभा सत्र में एक विधेयक पेश करेगी. राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड असम को भंग कर दिया जाएगा. जाहिर है, असम सरकार के इस फैसले को लेकर कहीं विरोध है तो कहीं इसका स्वागत हो रहा है. असम की विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. राजनीतिक बहसबाजी से इतर आइए समझते हैं कि असम में मदरसों और संस्कृत स्कूलों की संख्या कितनी है. सरकार इनपर कितना खर्च करती है.

असम में कितने मदरसे और संस्कृत स्कूल – असम में दो तरह के मदरसे हैं. एक प्रोविंसलाइज्ड, जिसे सरकार चलाती है और दूसरा खेराजी, जिसे निजी संगठन चलाते हैं. असम मदरसा बोर्ड के अनुसार, राज्य में 614 सरकारी मदरसे हैं और करीब 900 प्राइवेट मदरसे चल रहे हैं. इनमें से 400 उच्च मदरसे, 112 जूनियर मदरसे और 102 सीनियर मदरसे हैं. इनमें 57 लड़कियों के लिए हैं, तीन लड़कों के लिए और 544 कोएजुकेशन (लड़के और लड़कियों) के लिए हैं. संस्कृत स्कूलों की बात करें तो, असम में लगभग 100 सरकारी-संचालित संस्कृत आश्रम हैं और 500 प्राइवेट केंद्र हैं. इन्हें राज्य में टोल कहा जाता है.

सरकार प्रतिवर्ष मदरसों पर लगभग तीन से चार करोड़ रुपये खर्च करती है. वहीं, लगभग एक करोड़ रुपये संस्कृत केंद्रों पर खर्च होता है. असम में मदरसों को सरकार ने 1995 में प्रोविंसलाइज्ड किया था. फिलहाल इन मदरसों में 70 हजार विद्यार्थी पढ़ रहे हैं. शिक्षा और शोध से जुड़ी वेबसाइट द कनवरशेशन के मुताबिक भारत सरकार कहती है कि चार फीसदी मुस्लिम छात्र देश के मदरसों में पूर्णकालिक शिक्षा प्राप्त करते हैं. मदरसों और संस्कृत विद्यालयों से पढ़ाई करने वाले छात्रों को नियमति विद्यालयों के समान वेटेज दिया जाना 1990 के दशक में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शुरू किया था और तब से यह जारी है.

हिमन्त विश्व शर्मा ने दिया था ये तर्क – शिक्षा मंत्री हिमन्त विश्व शर्मा ने असम के मदरसों और संस्कृत टोलों को बंद करने के पक्ष में तर्क देते हुए कहा था- “धर्मनिरपेक्ष देश में सरकारी खर्च से धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती है. इसलामिक धर्म ग्रंथ और अरबी भाषा की शिक्षा देना सरकार का काम नहीं है. अगर सरकारी पैसे से चलने वाले मदरसों में धर्म ग्रंथ की शिक्षा दी जाएगी तो फिर गीता और बाइबल की शिक्षा भी जरूरी होनी चाहिए”.

देश में कुल कितने मदरसे – भारत सरकार के अनुसार, देश में दो प्रकार की मदरसा शिक्षा प्रणाली के तहत संचालित मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या 19132 है. वहीं, 4878 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे भी चल रहे हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में सर्वाधिक मदरसे उत्तर प्रदेश में हैं. यहां 11621 मान्यता प्राप्त और 2907 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हो रहे हैं.