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शिशु को अन्नप्राशन में क्यों खिलाया जाता है चांदी के बर्तन में खाना?

चांदी का जिक्र होते ही सबसे पहले दिमाग में उससे बने गहनों की तस्वीर आने लगती है। लेकिन आज बात गहनों की नहीं बल्कि चांदी से बने बतर्नों और उसमें खाना खाने से मिलने वाले फायदों के बारे में की जा रही है। प्राचीन समय से अन्नप्राशन करते समय शिशु को चांदी के बर्तन में खाना खिलाने की परंपरा चली आ रही है। आज भी कई लोग इस परंपरा को निभा रहे होंगे। पर क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों किया जाता है, आखिर चांदी के बर्तनों में खाना खिलाने से शिशु को क्या लाभ मिलता है। जानते हैं।

याददाश्त बढ़ाता है- चांदी में शीतलता प्रदान करने का गुण मौजूद होता है, जो बच्चे के दिमाग को शांत करके उसकी याददाश्त को अच्छा करने में मदद करता है। इतना ही नहीं चांदी के बर्तन में खाने से मस्तिष्क की शक्ति में ही सुधार नहीं होता बल्कि आंखों से जुड़ी परेशानी भी दूर होती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता- चांदी के बर्तनों में बैक्टीरिया से लड़ने वाले गुणों के साथ शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के गुण भी मौजूद होते हैं। दरअसल, चांदी के बर्तन में जब गर्म भोजन परोसा जाता है तो इस धातु के साथ भोजन संक्रमित हो जाता है और भोजन में अपने कुछ एंटी-बैक्टीरियल गुण छोड़ देता है। यही वजह है कि छोटे बच्चों को चांदी के बर्तनों में खाना खिलाने की सलाह दी जाती है।

सर्दी-जुकाम से बचाएं- चांदी के गिलास में पानी पीने से सर्दी-जुकाम की समस्या दूर होती है। वहीं इसका इस्तेमाल पित्त बढ़ने की समस्या या पित्त दोष को दूर करने में बेहद असरदार होता है।
अधिक समय के लिए फ्रेश रहता है भोजन- चांदी के बर्तनों में रखा खाना या तरल खाद्य पदार्थ लंबे समय तक फ्रेश बना रहता है।
आंखों के लिए है फायदेमंद- चांदी के बर्तन में शिशुओं को खाना या दूध पिलाने से उनकी आंखों की रोशनी मजबूत होती है। इतना ही नहीं यह आंखों की समस्याओं से भी निजात दिलाने में मदद करता हैं।
शरीर का तापमान रहता है नियंत्रित- चांदी शरीर के तापमान को बनाए रखने में मदद करता है। यही वजह है कि महिलाओं को चांदी की पायल और गहने पहनने की सलाह दी जाती है।