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शिक्षा मंत्रालय

शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, गुणवत्ता में सुधार की कोशिशें रंग लाने लगी;

नई दिल्ली। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की कोशिशें रंग लाने लगी हैं। इसका बड़ा असर देश के छात्र-शिक्षक अनुपात में देखने को मिला है। यह स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में पहले के मुकाबले काफी बेहतर हुआ है। वैसे भी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की बड़ी जरूरत सभी शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की संख्या के मुकाबले शिक्षकों की पर्याप्त उपलब्धता ही है। अगर शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाने व सिखाने वाले शिक्षक ही नहीं होंगे तो बेहतर गुणवत्ता की उम्मीद कैसे की जा सकती है। यही वजह है कि शिक्षा मंत्रालय का शुरू से फोकस छात्र-शिक्षक अनुपात को बेहतर बनाने पर है।

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शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2012-13 में राष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा में छात्र-

शिक्षक का अनुपात प्रति 39 छात्रों पर एक शिक्षक का था जो अब प्रति 26 छात्रों पर एक शिक्षक का हो गया है। मंत्रालय की मानें तो इस साल के अंत तक इसमें और सुधार दिखेगा क्योंकि मौजूदा समय में विश्वविद्यालयों और कालेजों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने की मुहिम तेजी से चल रही है। केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री डा. सुभाष सरकार ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बुधवार को कहा कि वह आइआइटी सहित सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए तेजी से मुहिम चला रहे हैं। इसके साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी राज्यों से अपने विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पद भरने के लिए कहा है। यह स्थिति तब है जबकि पिछले छह साल में देश में करीब 320 नए विश्वविद्यालय अस्तित्व में आए हैं।

छात्र-शिक्षकों के अनुपात में सुधार सिर्फ उच्च शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्कूली शिक्षा में भी हुआ है। शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक स्कूली शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर इसमें सुधार हुआ है। सबसे बेहतर स्थिति सेकेंडरी स्तर पर हुई है, जहां वर्ष 2012-13 में प्रति 30 छात्रों पर एक शिक्षक था, अब यह प्रत्येक 18 छात्रों पर एक शिक्षक का हो गया है। इसी तरह प्राइमरी स्तर पर यह अनुपात प्रति 34 छात्रों पर एक शिक्षक से प्रति 26 छात्रों पर एक शिक्षक का हो गया है। अपर प्राइमरी स्तर पर 23 से यह 18 हो गया है। यानी 23 की जगह प्रति 18 छात्रों पर एक शिक्षक हो गया है। शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए लाइब्रेरी निर्माण सहित कंप्यूटर, इंटरनेट और दूसरी ढांचागत सुविधाएं भी पहले से बेहतर हुई हैं।