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ये कैसा हरेला पर्व, हरियाली का ख़ात्मा!

स. सम्पादक शिवाकान्त पाठक

 हरिव्दार! एक और जहां देवभूमि उत्तराखंड में पेड़ लगा लगाकर हरेला पर्व बड़े 15-20 दिन तक धूमधाम से मनाया गया। सभी अधिकारियों ने मंत्रियों ने नेताओं ने अपनी फोटो पौधे लगाते हुए शेयर भी की। लेकिन हरेला पखवाड़ा खत्म हुए एक दिन ही बीता की। धर्मनगरी हरिद्वार में हाईवे पर पिछले दो-तीन वर्षों से पनप रहे सहजन (moringa) जो आयुर्वेदिक औषधीय कार्य करते है क कई पेड़ों को जेसीबी लगाकर गिरा दिया गया। उन्हें जड़ से उखाड़ दिया गया। विकास के नाम पर शहर में केवल हरे भरे पेड़ों को हटाया जा रहा है। जबकि यह पेड़ यहां किसी का कोई नुकसान नहीं कर रहे केवल एक आयुर्वेद की दृष्टि से देखा जाए तो इस पेड़ की जड़ से लेकर पत्तियों तक सभी कुछ मानव जीवन के लिए अमूल्य है। न पेड़ हटाने की परमिशन है न ही अधिकारी को बुला रहे। जेसीबी का पंजा चल रहा हरे पेड़ो पर। विकास के नाम पर चल रही अंधाधुंध पेड़ों की कटाई क्या यही होता रहा तो भविष्य क्या होगा सैकड़ों लोग पेड़ों को गिरता देखते हैं और चले जाते हैं यदि आप पेड़ नहीं लगा सकते तो कम से कम उन्हें बचाने का प्रयास तो कर सकते हैं उनसे पूछे क्या आपके पास इन पेड़ों को गिराने की परमिशन है।