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भारत में एनएसए की बैठक में रूस और ईरान लेंगे भाग

नई दिल्‍ली. अफगानिस्‍तान पर दिल्‍ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता के तीसरे संस्‍करण की मेजबानी भारत 10 नवंबर को कर सकता है. एनएसए स्‍तर की इस बैठक की अध्‍यक्षता भारत के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल करेंगे. इस शिखर सम्‍मेलन में मध्‍य एशिया के देशों के अलावा, रूस और ईरान भी भाग लेंगे. तालिबान के काबुल पर नियंत्रण करने के दो माह बाद हो रहे सम्‍मेलन में अफगानिस्‍तान की सीमा से लगे देश भाग नहीं ले रहे हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है, इससे पहले वे बैठक में शामिल होते रहे हैं.

सूत्रों ने बताया कि पहले के दो संस्‍करण सितंबर 2018 और दिसंबर 2019 में ईरान में आयोजित हुए थे. भारत में तीसरी निर्धारित बैठक कोरोना महामारी के कारण नहीं हो पाई थी. तालिबान के सत्‍ता में आने के बाद अफगानिस्‍तान के हालात पूरी तरह से बदल गए. यहां से अमेरिकी सैनिकों ने दो दशकों तक युद्ध के बाद वापसी कर ली थी और उनके प्रशिक्षित अफगान सैनिक, तालिबान को रोक नहीं सके. डोभाल जून में ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य राष्ट्रों के उच्च सुरक्षा अधिकारियों की बैठक में शामिल हुए थे. इस दौरान पाकिस्तानी एनएसए भी मौजूद थे. हालांकि इस दौरान दोनों देशों के अधिकारियों के बीच कोई वार्ता नहीं हुई थी.

सूत्रों ने बताया कि इस सम्‍मेलन के लिए चीन और पाकिस्‍तान को भी निमंत्रण भेजा गया था, लेकिन पाकिस्‍तान ने आने से मना कर दिया है. पाकिस्‍तान के एनएसए मोईद यूसुफ ने एक पत्र के जरिए कहा था कि वे सम्‍मेलन में शामिल नहीं होंगे. हालांकि अभी आधिकारिक रूप से दोनों ही देशों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. पाकिस्‍तान के एनएसए के बयान के बाद भारत सरकार ने कहा कि पाकिस्‍तान के फैसले को दुर्भाग्‍यपूर्ण कहा जाएगा, लेकिन आश्‍चर्य नहीं हुआ. पाकिस्‍तान की खुद को अफगानिस्‍तान का संरक्षक के रूप में देखने की मानसिकता दर्शाता है.

उन्‍होंने कहा कि इस प्रारूप की पिछली बैठकों में भी पाकिस्‍तान शामिल नहीं हुआ. पाकिस्‍तान की मीडिया में भारत के खिलाफ टिप्‍पणियां, अफगानिस्‍तान में उसकी घातक भूमिका से ध्‍यान हटाने की असफल कोशिश है. बताया गया है कि बैठक के लिए अफगानिस्तान के पड़ोसियों जैसे पाकिस्तान, ईरान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और रूस, चीन सहित प्रमुख देशों को आमंत्रित किया जा रहा है. यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और यूके, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों को भी बुलावा भेजा गया है. भारत ने इस साल मई में भी ऐसी ही एक बैठक का प्रस्ताव रखा था, लेकिन कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर के चलते बैठक नहीं हो पाई थी.