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बारिश में ढहा घर तो खुद ही उठा लिया फावड़ा, कभी चौकीदार था ये मंत्री

लखनऊ. यूपी सरकार के सबसे गरीब मंत्री बंशीधर बौद्ध की झोपड़ी रविवार को हुई तेज बारिश में बह गई। घर का सामान भी झोपड़ी के साथ ही मलबे में दब गया। मंत्री का घर बहने की सूचना मिलते ही लोगों की भीड़ जुट गई, लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि बंशीधर ने बिना किसी की मदद लिए खुद ही फावड़ा उठा लिया और मलबा हटाने में जुट गए।

अचानक तेज हवा के साथ आई बारिश और ढह गया मंत्री का घर

– यूपी के बहराइच जि‍ले में कतर्नियाघाट संरक्षित वन क्षेत्र की नईबस्ती टेड़िया गांव में प्रदेश सरकार के समाज कल्याण राज्यमंत्री बंशीधर बौद्ध का कच्‍चा मकान है।
– उस मकान में वह पत्नी और बेटों के साथ रहते हैं।
– गुरुवार को वे लखनऊ से लौटे थे। रवि‍वार को अपने घर के एक हि‍स्‍से में बैठे थे।
– अचानक भारी वर्षा शुरू हो गई। रवि‍वार शाम करीब 7 बजे तेज आवाज के साथ उनके मकान की दीवार ढह गई।
– संयोग से वहां कोई नहीं था। सामान और अनाज रखा था। सबकुछ मलबे में दब गया।
– इस मामले में तहसील कार्यालय को सूचना नहीं दी गई।

राज्‍यमंत्री ने क्‍या कि‍या

– बारि‍श रुकने पर राज्यमंत्री बंशीधर ने पत्नी लज्जावती, पुत्र अवन, दीपक और समर के सहयोग से मलबे को हटाकर दबा हुआ सामान निकाला।
– इसके बाद घर के अंदर हुए जलभराव को निकालने के लिए खुद नाली बनाई।
– राज्यमंत्री ने कहा कि छप्पर, दीवार और कुछ सामान का नुकसान हुआ है। करीब 1 लाख की संपत्ति का नुकसान हुआ है।
हालचाल जानने पहुंचे लोग
– जब गांव और आसपास के इलाके में राज्यमंत्री के मकान ढहने की सूचना मिली तो मि‍लने वालों का तांता लग गया।
– इलाके के राजस्‍वकर्मी पहुंचे, लेकि‍न बंशीधर ने मदद लेने से इनकार कर दि‍या।
– उन्‍होंने कहा, ‘मंत्री जी क्लेम करेंगे तो मुआवजा दिया जाएगा।’
– ‘क्षेत्रीय लेखपाल को जांच के निर्देश दिए गए हैं।’
कैसे मि‍लता है मुआवजा
– दैवीय आपदा राहत के मामले में पीड़ित व्यक्ति को क्लेम करना होता है।
– फिर राजस्व टीम से जांच कराई जाती है।
– राज्यमंत्री के क्लेम करने पर राजस्वकर्मियों से रिपोर्ट मांगी जाएगी। इसके बाद मुआवजे की कार्रवाई होगी।
सिर्फ 35 हजार में जीती विधायकी
– बंशीधर कहते हैं कि चुनाव में धनबल व बाहुबल हावी है, लेकिन सब कुछ पैसा नहीं है।
– वे कहते हैं कि हम अपने पैसे से चुनाव नहीं लड़ते हैं। चंदा मांगते हैं।
– ये गरीब दुखिया जनता मेरा चुनाव लड़ती है।
– विधायकी का चुनाव सिर्फ 35 हजार में जीता था।
– विपक्षी लाखों खर्च कर हार गए।
– उन्होंने बताया कि मैं विधायकी चुनाव जीतने के दिन से ही अगले चुनाव की तैयारी कर रहा हूं।
– घर-घर लोगों से मिलता हूं। पैसा वो लोग खर्च करें जिनके पास जनता जनार्दन के लिए टाइम नहीं है।
ऐसे हैं यूपी के यह मंत्री
– मंत्री बंशीधर बौद्ध ने अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए उन्होंने सेंट्रल स्टेट फार्म की चौकीदारी की।
– यहांं उन्हें महज 2 हजार मिलते थे।
– जब स्टेट फॉर्म हाउस बंद हो गया तो उसके गेट पर बैठ कर साइकिल का पंक्चर बनाया।
– आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं होने के कारण बच्चों को भी नहीं पढ़ा पाए।
– पहलवानी का दांव पेंच सीखकर अखाड़े में भी भाग्य आजमाया।
ऐसा है इस गरीब मंत्री का राजनीतिक करियर
– मंत्री बंशीधर ने बसपा के काडर से राजनीति शुरु की थी।
– वनग्रामीणों की हक व हकूक खातिर संघर्ष करते-करते वर्ष 2000 में उन्होंने जिला पंचायत सदस्य पद के चुनाव में भाग्य अजमाया।
– किस्मत ने साथ दिया और पंचायत सदस्य चुने गए।
– साल 2005 में एक बार फिर बंशीधर पंचायत सदस्य चयनित हुए।
– 13 सितम्बर वर्ष 2014 के बलहा विधान सभा के उपचुनाव में बंशीधर बौद्ध जीत गए।
– बंशीधर का कहना है कि यह सपना इतनी जल्दी सच होगा, इसकी उम्मीद नहीं थी।
खुद निपटाते हैं काम, नौकर नहींं
– साधारण झोपड़ी़ में रहते हुए विधायक से मंत्री बने बंशीधर ने अपने जीवन को बेहद सरल बना रखा है।
– वे सुबह पांच बजे उठ जाते हैं।
– सुबह मवेशियों का गोबर उठाना, घर व दरवाजे की सफाई, भैंसो को चारा लगाना, दूध दुहना आदि सभी काम मंत्री खुद करते हैं।
– उनके घर कोई नौकर नहीं है। इस काम में उनकी पत्नी व बच्चे भी हाथ बंटाते हैं।
– इसके बाद प्रतिदिन जनसुनवाई करते हैं। जो काम फोन पर निपट जाता है, वो ठीक वरना पीड़ित के साथ अफसर के यहां भी पहुंच जाते हैं।