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पेगासस विवाद पर एनआईए सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी जानकारी, जाने कोर्ट ने क्या कहा

नई दिल्ली। स्पेशल एनआईए कोर्ट ने मंगलवार को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) को इजाजत दी कि वह एल्गार परिषद के माओवादियों से जुड़े होने के मामलों में आरोपी बनाए गए लोगों के मोबाइल फोन सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तकनीकी कमेटी को सौंप दे। एनआईए ने कोर्ट से इस संबंध में याचिका दायर कर इजाजत मांगी थी। दरअसल, एल्गार परिषद केस से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार ने उनकी जासूसी के लिए पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया था। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने निर्देश जारी किया था कि जिन भी लोगों को अपने मोबाइल पर पेगासस स्पाईवेयर के हमले का शक है, वे अपना मोबाइल सौंप सकते हैं। एल्गार परिषद मामले से जुड़े एक आरोपी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल का फोन सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल को दिया जाना है।

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क्योंकि समिति ने ही एनआईए को ये मोबाइल सौंपने के आदेश दिए हैं। इस मामले में एनआईए ने विशेष अदालत के सामने सात आरोपियों के मोबाइल सुप्रीम कोर्ट के पैनल को सौंपने की इजाजत मांगी थी। यह सभी मोबाइल फोन फिलहाल एनआईए स्पेशल कोर्ट की कस्टडी में हैं। एनआईए जिन सात आरोपियों के मोबाइल फोन जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तकनीकी समिति को सौंपेगा, उनमें रोना विल्सन, आनंद तेलतुंबडे, वर्नोन गोंजालवेज, पी वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, हनी बाबू और शोमा सेना शामिल हैं।

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पेगासस स्पाइवेयर से कथित तौर पर प्रभावित केवल दो व्यक्तियों ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित तकनीकी समिति को अपने मोबाइल फोन सौंपे हैं, जिसके कारण समिति को समय-सीमा बढ़ानी पड़ी है ताकि और भी लोग आगे आ सकें। तकनीकी समिति ने अब यह समय सीमा आठ फरवरी कर दी है, ताकि यदि किन्हीं और को संदेह है कि उनके फोन में पेगासस स्पाइवेयर सेंध लगाई गई है तो वे समिति से संपर्क कर सकते हैं। यह निर्णय पेगासस स्पाइवेयर मामले में हालिया आरोपों के बीच लिया गया है।

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न्यूयार्क टाइम्स में हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत ने 2017 में इस्राइल के साथ दो अरब डालर के रक्षा सौदों के हिस्से के तौर पर पेगासस स्पाइवेयर हासिल किया था। पिछले माह जारी नोटिस में सात जनवरी 2022 तक की समय सीमा निर्धारित की गई थी। हालांकि, अपने नए सार्वजनिक नोटिस में समिति ने कहा कि सूचना मिलने पर अगर समिति को आगे की जांच की आवश्यकता महसूस होती है, तो वह मोबाइल फोन की जांच कराने और डिजिटल तस्वीर लेने के लिए उस व्यक्ति को बुला सकती है।