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जानिए कैसे खाना खाती हैं कोशिकाएं?

कोशिका:भोजन और स्वास्थ्य के बारे में हमारे लंबे समय से शोध होते रहे हैं. क्या खाने से हमारी सेहत में किस तरह के बदलाव आते हैं इस बारे में हमारे वैज्ञानिकों ने सदियों से विस्तार से जानकारियां जुटा ली हैं. लेकिन कोशिकाओं के स्तर काफी कुछ अज्ञात ही है. यह जानते हुए भी की जिस तरह का भोजन हम खाते हैं उसी तरह से कोशिकाओं की सेहत पर भी असर होता है. अभी तक यह पता नहीं लगाया जा सका था कि कोशिकाएं आखिर खाना कैसे खाती हैं. नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस पहेली को सुलझा लिया है.

कोशिकाओं की झिल्ली
ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन में दर्शाया गया है कि कैसे कोशिकाएं अपने आसपास के पदार्थों को निगल जाती है यानि कि खा जाती हैं. अध्ययन में बताया गया है कि कोशिकाओं की झिल्ली वक्राकार होते हुए मुड़ कर “मुंह” बनाती हैं, जिससे कोशिकाओं के अंदर आसपास की चीजें चली जाती हैं.

वैज्ञानिकों ने पाया कि अंतरकोशिका प्रणाली मिल कर काम करते हुए एक बड़ा गोलाकार बास्केट की तरह संरचना का निर्माण करती हैं जो अंततः एक बंद पिंजरे की तरह विकसित हो जाता है. इस अध्ययन के प्रमुख लेखक औरओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में भौतिक के एसोसिएट प्रोफेसर कॉमर्ट कुराल ने बताया कि इस प्रक्रिया में झिल्ली के वक्री होने का बहुत महत्व है.

कुरान ने बताया कि झिल्ली पॉकेट के निर्माण को नियंत्रित करती है जोकोशिकाओं से पदार्थों को अंदर बाहर करने का काम करते हैं. ये पॉकेट कोशिकाओं के पास के सभी पदार्थों के खींचते हैं जिससे कोशिकाओं के बाहर के पदार्थ छोटे-छोटे थैलों जैसी पुटिकाएं बन जाती हैं.

ये थैलेनुमा फफोले लाल रक्त कोशिकाओं से दस लाख गुना छोटे होते हैं. इनमें कोशिकाओं की सेहत के लिए हर जरूरी चीज होती है. लेकिन इन पर रोगाणु भी कब्जा कर सकते हैं जिससे कोशिका संक्रमित हो जाती है. लेकिन यह अब भी विस्तार से स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये पुटिकाएं झिल्ली में से बनती कैसे हैं जिनके बारे में पहले माना जाता था कि ये सपाट होती हैं.

कुराल ने बताया कि कोशिकाओं के अध्ययन में यह एक विवाद का विषय रहा है. इसके लिए उनकी टीम ने अति-विभेदन फ्लोरेंस इमेजिंग का उपयोग कर जिंदा कोशिकाओं में इन थैलीनुमा पुटिकाओं का अवलोकन किया जिससे वे इस पहेली का हल निकालने में सफल हो सके.
पिछले अध्ययनों के विपरीत शोधकर्ताओं ने कोशिकाओं की उच्च विभेदन तस्वीरें लेने की जगह फिल्म ही बना डाली. कुराल ने बताया कि उनके प्रयोगों ने खुलासा किया किया जैसे ही प्रोटीन पुटिकाओं के बनने की जगह की ओर आती हैं, झिल्ली के नीचे प्रोटीन के मचानों में विकृति आना शुरू हो जाती है. जबकि इससे पहले माना जा रहा थी झिल्ली के मुड़ने के लिए प्रोटीन मचानों को अति ऊर्जा पुनर्गठन से गुजरना होता था.
किसी जीव की कोशिकाएं किस तरह से खाना खाती हैं और उसके बाद अवशेषों को बाहर फेंकती हैं, उनमें इन पुटिकाओं की बहुत अहम भूमिका होती है. इस प्रक्रिया से खून से खराब कैलोस्ट्रॉल साफ होने में मदद मिलती है. यह तंत्रिका संकेतों को संचारित करता है. इस प्रकिया से कैंसर और अल्जाइमर जैसे बीमारीयों का इलाज खोजने में सहायता मिल सकती है.